Gabbar ka chritar
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण 1. सादा जीवन , उच्च विचार : उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था . पुराने और मैले कपड़े , बढ़ी हुई दाढ़ी , महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन . जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो . जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो - आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं . और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने ! ' जो डर गया , सो मर गया ' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था . २ . दयालु प्रवृत्ति : ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था . इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी . अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था . पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया . 3. नृत्य - संगीत का शौकीन : ' महबूबा ओये महबूबा ' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है . अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था . वह जीवन में नृत्य - संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था . बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था . उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान...