वीर भूमि मेवात
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दिल्ली से लगभग 60 किलोमीटर दक्षिण की तरफ जिला अलवर (राजस्थान) से सटा अब हरियाणा में एक जिला मेवात के नाम से जाना जाता है ।इस क्षेत्र में वीर मेवाती लोग रहते हैं। जिनका विगत 1500 वर्षों का संघर्षपूर्ण इतिहास है। यह वे वीर सैनिक हैं, जो हर आक्रांता से लड़े, जिन्होंने राणा सांगा के नेतृत्व में मुगल बादशाह बाबर को चुनौती दी और बाद के शासकों के लिए भी सदा सिरदर्द बने रहे। 1857 की महान क्रांति में इन लोगों ने शहीद हसन खां मेवाती के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध शंखनाद फूंका । जिसमें हजारों लोगों ने अपने मस्तक को बलिदेवी पर चढ़ा दिया और यहां तक कि नूहं कस्बा के निकट कोटला किले पर बहादुरशाह जफर को अपना बादशाह स्वीकार करते हुए वहां मुगल शाही का आजादी का परचम लहराया । क्रांति की विफलता के बाद लगभग 1300 लोगों को नूहं की जामा मस्जिद के आसपास लगे नीम के पेड़ पर लटका कर फांसी दे दी गई । इनमें से लगभग 1027 शहीदों की फेहरिस्त हमारे इतिहासवेत्ता मित्र सिद्दीक अहमद मेव ने संजोयी है। मेवात के लोग भारत विभाजन के पक्षधर नहीं थे और न ही वे किसी भी रूप में अपनी जड़ों से कटकर पाकिस्तान ही जाना