George Fernandes : ...तो जार्ज फर्नांडिस की लाश तक नहीं मिलती
 
 3 जून 2021 जार्ज की 91वीं वर्षगांठ पर ...तो जार्ज फर्नांडिस की लाश तक नहीं मिलती          आ ज  (तीन जून 2021) बागी लोहियावादी जार्ज मैथ्यू फर्नाण्डिस 91 वर्ष के होते।  जिस युवा समाजवादी द्वारा बंद के एक ऐलान पर सदागतिमान, करोड़ की  आबादीवाली मुंबई सुन्न पड़ जाती थी। जिस मजदूर पुरोधा के एक संकेत पर देश  में रेल का चक्का जाम हो जाता था। जिस सत्तर वर्षीय पलटन मंत्री ने विश्व  की उच्चतम रणभूमि कारगिल की अठारह बार यात्रा कर मियां मोहम्मद परवेज  मुर्शरफ को पटकनी दी थी। सरकारें बनाने-उलटने का दंभ भरनेवाले कार्पोरेट  बांकों को उनके सम्मेलन में ही जिस उद्योग मंत्री ने तानाशाह (इमर्जेंसी  में) के सामने हड़बड़ाते हुए चूहे की संज्ञा दी, वही पुरूष सुधबुध खोए  दक्षिण दिल्ली के पंचशील पार्क में क्लांत जीवन बसर करते चिरनिद्रा में सो  गया था। जार्ज को देशभर में फैले उनके मित्र आज नम आँखों से याद करते हैं।  विशेषकर श्रमिक नेता विजय नारायण (काशीवासी) और साहित्यकार कमलेश शुक्ल  दोनों मेरे साथ तिहाड़ जेल में बडौदा डायनामाइट केस में जार्ज के 24  सहअभियुक्तों में रहे। अपने बावन वर्षों के सामीप्य पर...
