अखबार का क्या मतलब है व एक नए समाचारपत्र को किसी नई जगह स्थापित करने में कैसे मेहनत की जाती है, इसे समझने व जानने के लिए हमें हमारे प्रिय मित्र व अग्रज "राजेन्द्र मौर्य" को जानना होगा। लगभग 20 वर्ष पहले की बात होगी, जब वे हमारे शहर पानीपत में एक नए अखबार अमर उजाला के ब्यूरो चीफ बनकर आए थे। अखबार नया व अनजान था और मुकाबला करना चाह रहा था पंजाब केसरी व नवभारत टाइम्स जैसे जमे जमाए अखबारों से। इन अखबारों का रुतबा यह था कि शहर की खबर छपती थी दो दिन बाद और इनके संवाददाताओं की हेकड़ी ये कि वे किसी को भी कुछ भी नहीं समझते थे। ऐसे समय में मौर्य हमारे शहर में आए थे । वे एक अत्यंत संजीदा व प्रबुद्ध व्यक्तित्व के धनी हैं । मिलनसार इतने कि जो उनसे एक बार मिल ले, तो उनका बन जाए और इन्हीं सब अपनी खूबियों की वजह से उन्होंने अखबार को जमाना शुरू किया और यह क्या कि कुछ दिन में ही अमर उजाला अपने एक प्रतिद्वंद्वी के बराबर आ गया और दूसरे को तो पछाड़ ही दिया । राजेन्द्र मौर्य ने इस दौरान अपने व्यक्तिगत पारिवारिक रिश्तों को भी मजबूत किया...