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Hindi: हिंदी का दर्द चीन्हें!

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हिंदी का दर्द चीन्हें ! के. विक्रम राव भोर से मैं यह मालूम करने में जुटा हूँ कि उत्तर प्रदेश में आज कितने हिंदी प्रेमी आई०सी०यू० (गहन चिकित्सा केंद्र) में भर्ती हुए हैं?  कितने वेंटिलेटर पर रखे गए ?  कितनों को हृदयाघात अथवा पक्षाघात हो गया है ?  या कितने इहलोक छोड़ने वाले हैं ?  यद्यपि अभी तक एक की भी खबर नहीं है|  आज की ताजा खबर यह है कि यूपी बोर्ड के आठ लाख (8 लाख) परीक्षार्थी हिंदी में फेल (अनुत्तीर्ण) हो गए|  मैं अनन्य हिंदी भक्त हूँ, इसी नाते मैं अपना ईसीजी तो करा रहा हूँ |  छात्रकाल में हम नारे लगाते रहे हैं : “गाँधी-लोहिया की अभिलाषा, देश में चले देशी भाषा|” हालाँकि हमारा यह राज्य समस्त जम्बूद्वीप में हिंदी का मर्मस्थल है| गोपट्टी तो राष्ट्रभाषा का विख्यात मरकज है| इसकी बहनें भोजपुर से होती बृज तक वाया अवधी बसी हैं| अब प्रश्न उठेगा ही कि हिंदी विस्तार के नाम पर कितने लगातार मालामाल होते रहे हैं ?  इन तिजारतियों के रहते इतनी तादाद में बच्चे क्यों लुढ़के ?  किसी के पास तो उत्तर हो| किसी के गले तो फंदा पड़े !  मेरे ये सब प्रश्न विशेषकर दोआब के हिन्दीवालों से है|  एक बटा पांच भूभागवाला