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Showing posts from May 8, 2020

IAS Rani Nagar(Video): इस्तीफा मंजूर नहीं होने पर और शोषण की आशंका

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आईएएस रानी नागर का इस्तीफा नामंजूर, यूपी कैडर करने की सिफारिश  एक जानकारी के मुताब‌िक भाजपा राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर और केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल सिंह गुर्जर के दबाव के चलते हरियाणा सरकार ने आईएएस अधिकारी रानी नागर  का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। साथ ही रानी नागर का हरियाणा कैडर बदलकर यूपी कैडर किए जाने के लिए भी केंद्र सरकार को सिफारिश कर दी है। सुरेन्द्र नागर ने इस मामले में गत दिनों नागर ने कहा था कि रानी नागर को इंसाफ मिलेगा और उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया जाएगा। रानी नागर चाहती हैं अपना इस्तीफा स्वीकार कराना हरियाणा सरकार द्वारा इस्तीफा नामंजूर किए जाने के विपरित पूर्व मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायवती के पैतृक गांव बादलपुर की बेटी रानी नागर का कहना है कि अगर मेरा इस्तीफा मंजूर नहीं होता है तो मेरा और शोषण होता रहेगा। उन्होंने अपना इस्तीफा स्वीकार नहीं होने के लिए आंदोलन और बिरादरी के जरिए हरियाणा सरकार पर दबाव बनाने वाले सभी लोगों से अनुरोध किया है कि वे इसके लिए कोई प्रयास न करें। रानी नागर का मानना है कि यदि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं

Spanish flu was more dangerous than Corona (Video) : स्पेनिश फ्लू कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक था

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कोरोना और स्पेनिश फ्लू के लक्षण समान,  1918 में हुई थीं करोड़ों मौतें दुनिया में 1918 में स्पेनिश फ्लू नाम की महामारी से 50 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे और करीब दो करोड़ से पांच करोड़ के बीच लोगों की जान चली गई थी और यह आंकड़े प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए सैनिकों व नागरिकों की कुल संख्या से बहुत ज्यादा हैं।  पूरी दुनिया में इस समय कोरोनावायरस महामारी की वजह से कोहराम मचा है और बड़ी-बड़ी सरकारें इसके सामने बेबस नजर आ रही हैं, लेकिन वर्ष 1918 में भी एक वायरस ने भयानक तबाही मचाई थी और इसकी भयावहता का अनुमान लगाना भी मुश्किल है। स्पेनिश फ्लू नाम की इस महामारी से दुनियाभर के 50 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए थे और करीब दो से पांच करोड़ के बीच लोगों की जान चली गई थीं और यह आंकड़े प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए सैनिकों व नागरिकों की कुल संख्या से ज्यादा हैं। स्पेनिश फ्लू ने हालांकि दो वर्षों यानि 1920 तक कोहराम मचाया था, लेकिन अधिकतर मौतें 1918 के तीन क्रूर महीने में हुई थी। इतिहासकारों का अब मानना है कि स्पेनिश फ्लू के दूसरे दौर में हुई व्यापक जनहानि की

Ramayan : रामायण में भोग नहीं, हर पात्र त्याग की मूर्ति है

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Ramayan : रामायण में भोग नहीं, त्याग है भरत जी नंदिग्राम में रहते हैं, शत्रुघ्न जी  उनके आदेश से राज्य संचालन करते हैं। एक रात की बात हैं,माता कौशिल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। नींद खुल गई । पूछा कौन हैं ?, मालूम पड़ा श्रुतिकीर्ति जी हैं। नीचे बुलाया गया। श्रुतिकीर्ति जी, जो सबसे छोटी हैं, आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं। माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बिटिया ? क्या नींद नहीं आ रही ? शत्रुघ्न कहाँ है ? श्रुतिकीर्ति की आँखें भर आईं, माँ की छाती से चिपटी, गोद में सिमट गईं, बोलीं, माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए। उफ ! कौशल्या जी का ह्रदय काँप गया । तुरंत आवाज लगी, सेवक दौड़े आए । आधी रात ही पालकी तैयार हुई, आज शत्रुघ्न जी की खोज होगी, माँ चली। आपको मालूम है शत्रुघ्न जी कहाँ मिले ? अयोध्या जी के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की शिला हैं, उसी शिला पर, अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेटे मिले । माँ सिराहने बै