अलविदा  मंडेला    अजीब इत्तेफाक है कि नेल्सन मंडेला ने  अंतिम सांस भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस  पर ली है। भले ही जाहिर तौर पर नेल्सन मंडेला को महात्मा गांधी के विचारों के  अधिक नजदीक माना जाता हो, लेकिन  वर्ग भेदभाव का उनका संघर्ष बाबा  साहेब डॉ. अंबेडकर के संघर्ष से अधिक मेल खाता है। मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में  गौरे-काले के बीच भेदभाव और वर्ग संघर्ष में अगुवाई की और अपने जीवन के जहां 27  वर्ष जेल में गुजारे वहीं जीवन भर काले रंग वाले लोगों को  सम्मान दिलाने के लिए तमाम कुर्बानी दी, जिसका सकारात्मक परिणाम ही  माना जाएगा कि उनके संघर्ष से निकली आजादी और नए विचारों की लौ ने  अमेरिका में बराक ओबामा जैसे काले रंग वाले व्यक्ति को भी रोशनी देने का  काम किया। अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में बराक ओबामा ने  साबित किया कि रंग या किसी भी वर्ग भेदभाव से किसी भी  व्यक्तित्व को अपनी कार्य क्षमता साबित करने से नहीं रोका जा सकता  है। किसी को भी बिना भेदभा...
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