यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मामायावती ने सरकार द्वारा कोरोना महामारी की आड़ में श्रम कानून को तीन वर्ष के लिए निष्प्रभावी किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस निर्णय को श्रमिक विरोधी बताया है। मायावती ने किए ट्वीट में कहा है कि "कोरोना प्रकोप में मजदूरों/श्रमिकों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है, फिर भी उनसे 8 के बजाए 12 घण्टे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था पुनः देश में लागू करना अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण। श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिये ना कि कभी भी उनके अहित में। जबकि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने श्रमिकों के लिए प्रतिदिन 12 नहीं बल्कि 8 घण्टे श्रम व उससे ज्यादा काम लेने पर ओवरटाइम देने का युगपरिवर्तनकारी काम तब किया था जब देश में श्रमिकों/मजदूरों का शोषण चरम पर था। इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित? देश में वर्तमान हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिए ताकि खासकर जिन फेक्ट्री/प्राइवेट संस्थानों में श्रमिक कार्य करते हैं वहीं उनके रूकने आदि की व्यवस्था हो। किसी भी...