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Showing posts from June 5, 2014
गलती सुधारनी चाहिए  मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री बनने वाली 38 वर्षीय स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता 12वीं बताई गई है, इसको लेकर भी कई लोग तमाम आशंकाएं जाहिर कर रहे हैं। इसपर न केवल विपक्षी दल कांग्रेस बल्कि मोदी के समर्थक भी सवाल खड़े कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि मोदी जी ने मंत्री बनाने और उनको विभागों के वितरण में तजुर्बे और एक्सपर्ट की बजाय स्वयं की इच्छा और पसंद को अधिक महत्व दिया है। हालांक‌ि अभी से यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी, लेकिन कहीं न कहीं सभी विभागों पर एकाधिकार रखने की भी चाहत नजर आ रही है। सोशल ‌मीडिया पर हीरो की तरह पेश किए गए नरेंद्र मोदी की स्मृति ईरानी को मंत्री बनाने को लेकर आलोचना भी खूब हो रही है, जिसे नरेंद्र मोदी जी को गंभीरता से लेना चाहिए। और संभव हो तो इस गलती को समय रहते सुधार लिया जाए तो कोई बुरी बात भी नहीं है।  
दलितों को शिपिंग सर्विस में मिले प्राथमिकता मैं मोदी सरकार के भूतल परिवहन और शिपिंग मंत्री नितिन गडकरी से मिलने के लिए उनके दफ्तर पहुंचा, लेकिन वह मेरे पहुंचने से कुछ मिनट पहले ही कहीं जा चुके थे। उनके सहायक को मैंने अपना एक पत्र सौंपा। इस पत्र में मैंने उनको बताया है कि शिपिंग कारपोरेशन द्वारा चयन परीक्षा के जरिए प्रारंभ से ही अनुसूचित जाति के छात्रों का प्रशिक्षु नॉटिकल आफिसर के लिए चयन किया जाता रहा है। और कारपोरेशन इनको अपने खर्च पर मेरीटाइम इंस्टीट्यूट में मेरीटाइम यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदत्त बीएससी (नॉटिकल सा‌इंस) डिग्री कोर्स कराया जाता है, जिसका खर्च शिपिंग कारपोरेशन आफ इंडिया वहन करती थी, लेकिन इस वर्ष से शिपिंग कारपोरेशन आफ इंडिया ने यह खर्च 6.75 लाख रुपये सीधे अनुसूचित जाति के छात्रों से लेना शुरू कर दिया है और जॉब की प्राथमिकता भी समाप्त कर दी है। इस निर्णय से अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए शिपिंग सर्विस का रास्ता बंद कर दिया गया है। पत्र में गडकरी जी से अपेक्षा की गई है कि वह पुरानी व्यवस्था लागू करते हुए अनुसूचित जाति के छात्रों को निशुल्क कोर्स क
महाराष्ट्र में वंचितों के रहबर थे मुंडे  भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे से मेरी कभी व्यक्तिगत रूप से बैठकर बात तो नहीं हुई, लेकिन उनके एक प्रशंसक ने कई बार उनके बारे में मुझे बताया तो मेरे मन में उनकी एक अच्छी छव‌ि बनी और लगा कि वह महाराष्ट्र में गरीबों के रहबर की तरह काम कर रहे थे। उनकी प्राथमिकता में भले ही भाजपा का राजनीतिक एजेंडा था, लेकिन उनकी व्यक्तिगत इच्छा अपने गरीब समाज के लिए भी काफी कुछ करने की थी। मैं अगले दिनों में उनसे मिलने की सोच रहा था, लेकिन शायद ईश्वर को यह मंजूर नहीं था।   पिछले सप्ताह ही उन्होंने मोदी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री का दायित्व संभाला और शायद महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की शुरुआत करने के लिए ही अपने निर्वाचन क्षेत्र बीड में बड़ी जनसभा के माध्यम से अपनी विजय का उत्सव मनाने जा रहे थे, लेकिन काल को कुछ और ही मंजूर था, जिसका नतीजा वे हमसे दूर अंतिम यात्रा पर चले गए। वह बंजारा समुदाय से थे, जो महाराष्ट्र में पिछड़े वर्ग में तो कई प्रदेशों में अनुसूचित जाति और जनजाति में भी शामिल हैं। तब ही तो वह पिछड़े वर्ग के साथ ही जनजातीय समाज, अ