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Showing posts from December 25, 2019

स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान दिवस : सदा सच की वकालत

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अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस के अवसर पर उनका स्मरण अर्थात उनके कार्यों को याद करना है । वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके विचारो को महर्षि दयानंद सरस्वती ने परिवर्तित किया । एक कुशल वकील जिन्होंने वकालत की परंतु हमेशा सत्य की । महात्मा गांधी के आह्वान पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और उस समय जब जालियां वाले हत्याकांड से पूरा पंजाब आतंकित था उस समय ,   1920 के अमृतसर में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन के स्वागत अध्यक्ष बने । वे पहले हिन्दू सन्यासी थे जिन्होंने दिल्ली की जामा मस्जिद की मीमबर (पवित्र मंच) पर खड़े हो कर सांप्रदायिक सौहार्द का।संदेश दिया । रॉलेट एक्ट के विरोध करते हुए राष्ट्रीय कांग्रेस के चांदनी चौक ,दिल्ली में प्रदर्शन पर अंग्रेज़ी सिपाहियो ने बंदूक तानी तो वे अपनी छाती खोल कर खड़े हो गए कि "गोली उनको मारो "। पर डरपोक कैसे एक वीर की छाती चीरते । दुनियां में मात्र दो ही ऐसे जीवन चरित है जो अपने जीवन की किसी भी सच्चाई को नहीं छुपाते । एक स्वामी श्रद्धानंद जी की आत्मकथा "कल्याण मार्ग का पथिक " और दूसरी महात्मा।गांधी की आत्मकथा &quo

अटलबिहारी वाजपेयी की जयंती : विनम्र श्रद्धांजलि

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भारत के लोकप्रिय पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ऐसा व्यक्तित्व है, जो अपने विरोधी विचारधारा को भी प्रभावित करता है। काश भाजपा का वर्तमान नेतृत्व अटल जी और लालकृष्ण आडवाणी जी के जीवन से थोड़ी भी प्रेरणा लेता, तो वास्तविकता में देश के वर्तमान हालात सभी विचारधारा के लोगों के लिए निंदा करने की बजाय प्रेरित करने वाले बन जाते। पर, यह भी सच है कि अटल जी जैसे व्यक्तित्व बनने के लिए खुद को तपाना पड़ता है, जो सबके बस की बात नहीं?  आज अटलजी की जयंती है, उनके साथ कई अवसरों पर बिताए क्षणों का स्मरण करते हुए मैं उनको  विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।      -राजेन्द्र मौर्य 

क्रिसमस डै : ईसा मसीह की सिखावान

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किसी दार्शनिक ने कहा है कि "भगवान नहीं जानते कि महापुरुषों को कैसे सजा दी जाए तो उन्होंने एक तरकीब ढूंढ निकाली- चेलों के रूप में।".....इतिहास गवाह है कि हर महापुरुष के मूल उपदेश को उसके चेलों ने इस तरह विकृत कर दिया कि कभी-कभी वह उपदेश  ठीक विपरीत रूप में प्रस्तुत हो रहा है, जिससे अनेकों किस्म की गलतफहमियां पैदा हो रही है। कोई भी महापुरुषों चेलों की इन करतूतों से बच नहीं पाया है। ईसामसीह, महावीर भगवान ,बुद्धदेव से लेकर महात्मा गांधी तक सभी के साथ अन्याय करने में उनके चेले ही अगुवा रहे हैं।                                 बड़े दिन के मुबारक मौके पर ईसा मसीह के जीवन पर निगाह डालने पर पता चलता है कि करोड़ों इसाई श्रद्धालु समूची दुनिया में उनके जिस जन्मदिन को खूब धूमधाम से मनाते हैं, वह उनका जन्मदिन है ही नहीं। इधर के कुछ वर्षों में इतिहास के अनेकों खोए हुए पन्नों का पता चला है, जिससे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।" रेड- सी- स्क्रोल्स" नाम से जाने गए दस्तावेज तथा अन्य खोज सामग्री से जो तस्वीर पेश हो रही है वह उस तस्वीर से बिल्कुल अलग है जो चर्च के द्वारा दो हजार वर