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Showing posts from May 27, 2019
मजमा फिर हिट....  आइए भाइयों-बहनों,  आपका जाना-पहचाना मदारी अपने जमूरे के साथ आ गया। मजमा मेरा पसंद आए तो बजाना ताली,    नहीं आए पसंद तो देना गाली।   पर बात पते की बताता हूं, मजमा मेरा ऐसा, नामुमकिन को कर दे मुमकिन।   बोलो कैसे! सुनो भाई एेसे,  कपड़े से बना ये सांप का पुतला नेवले को चबा जाएगा। और तो और मेरे जमूरे के कहते ही, हर तमाशबीन की जेब नोटों से भर जाएगी। बताना जमूरे,   वो सामने खड़ा तमाशबीन गंजा क्यों है? बता दूँ उस्ताद,   यह हमारे मजमे से दूर था।  अब इसके सिर पर बाल उगेंगे, और वो बोड़ा भाई पीछे खड़ा,  उसके नए मोती जैसे चमकते दांत निकलेंगे। वो कैसे जमूरे बताओ सबको,      उस्ताद आप हैं तो नामुमकिन भी मुमकिन है।   अब बताओ, मजमे में  कौन अपनी खाली जेब  नोट से भरना चाहता है। गंजे सिर पर बाल उगाना चाहता है,    दांत मोती जैसे चमकाना चाहता है। हर तमाशबीन की यही हसरत, अब तो नामुमकिन को मुमकिन होते देखना है।  मदारी-जमूरे ने