सावधान! रची जा चुकी है वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट खत्म करने की बड़ी साजिश! मोदी 2.0 के नए श्रम कानून ने अखबार में कार्यरत पत्रकारों और अन्य गैरपत्रकार कर्मचारियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। ऐसा लगा रहा है कि श्रम कानूनों में सुधार के नाम पर केंद्र सरकार ने जाने-अनजाने वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट और इसके तहत मिलने वाले वेजबोर्ड की सुविधा को खत्म करवाने की कुटील चाल चल दी है। व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति को विनियमित करने वाले कानूनों में संशोधन करने के लिए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता विधेयक, 2019 लोकसभा में 23 जुलाई को पेश किया जा चुका है। इसके तहत जिन 13 श्रम कानूनों को निरस्त करके एक कानून बनाए जाने की बात की जा रही है, उनमें श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचारपत्र कर्मचारी (सेवा की शर्तें) और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम,1955 तथा श्रमजीवी पत्रकार (मजदूरी की दरों का निर्धारण) अधिनियम, 1958 को भी गुपचुप तरीके से शामिल कर लिया गया है। ज्ञात रहे कि उपरोक्त दोनों अधिनयम श्रमजीवी पत्रकारों और गैर-पत्रकार अखबार कर्मचारियों को रोढ़ी कूटने वाले मजूदरों की श...