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release to Faizal Khan : गांधीवादी फैजल खान को रिहा करें

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गांधीवादी फैजल खान को रिहा करें के. विक्रम राव गांधीवादी सेक्युलर सामाजिक कार्यकर्ता फैजल खान को मथुरा जेल से रिहा किया जाये। जिला पुलिस की नजर में मंदिर में नमाज पढ़ना अपराध है। अत: फैजल और उनके साथी नीलेश गुप्त तथा आलोक रतन को जेल में डाल दिया गया। महीना बीता, जमानत भी नहीं मिली। यह घटना वैष्णव कवि रहीम और रसखान की परंपरा के विपरीत है। कबीर की चेतावनी स्मरण आती है कि :       ''दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय।      बिना जीव के श्वास से, लोहा भसम हो जाये।'' इस विधि—स्नातक और सर्वधर्मसद्भाव के आस्थावान फैजल खान के विषय में थोड़ा परिचय पहले कर लें। वे भारत के खुदाई खिदमतगार संस्था के राष्ट्रीय संयोजक हैं। खुदाई खिदमतगार (ईश्वर के सेवक) संगठन की स्थापना 1929 में पेशावर में सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान ने की थी। इसे मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत के एजेन्टों का गिरोह कहा और इस्लामी पाकिस्तान का शत्रु बताकर गैरकानूनी करार दिया था। इसके नेता और पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत के मुख्यमंत्री रहे डा. खान अब्दुल जब्बार खान की निर्वाचित सरकार को (1947) बर्खास्त कर, फौजी कार्रवाही द्व