Posts

Showing posts from January 12, 2020

मुशायरा : तो हिंदुस्तान छोड़ दें (वीडियो)

दिल्ली : आगाज ए दोस्ती का कैलेंडर जारी

Image
युवाओं के "आग़ाज़ ए दोस्ती" ग्रुप द्वारा दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में  भारत-पाक शांति कलेंडर जारी करने के कार्यक्रम में उपस्थित जन की दोनों देशों में बेहतर मैत्री पूर्ण सम्बन्ध होने की न केवल कामना थी वही उस उपायों तथा गतिविधियों की भी झलक थी जिनके जरिये जनता के स्तर पर एक मुहिम तैयार की जा सकती है । स्मरण रहे इस ग्रुप द्वारा ऐसे किसी कलेंडर का *आठवां प्रकाशन* था जिसमे भारत और पाकिस्तान के विभिन्न स्कूलों में पढ़ रहे 8 से 14 साल के बच्चों की छह-2 चित्रकारी थी जिसे अपनी निरवैर भावनाओं को उनके कोमल नन्हे हाथों ने कागज़ पर रंगों से भरा था ।इस कैलेंडर पर ही दोनों देशों के लब्धप्रतिष्ठ 12 लोगों की भी शुभकामनाएं अंकित थी जिन्हें हम आमजन की आकांक्षा के रूप में देखते है ।कार्यक्रम में सुशोभना बर्वे, एयर चीफ मार्शल  कपिल काक, प्रसिद्ध गांधीवादी राधा भट्ट , फादर जोसेफ  कलाथिल,और प्रसिद्ध मुखर मानवाधिकार कार्यकर्ता व मनीषी स्वामी अग्निवेश के ओजस्वी व प्रेरणादायी वक्तव्यों ने आयोजन को सार्थक बना दिया था *जिनका मानना था कि दोनों देशों में खिंची अप्राकृतिक सीमा रेखाए धरती को बांट

शिक्षा हो मौलिक अधिकार

लॉ फर्स्ट ईयर के एक विद्यार्थी से पता चला कि वह एक स्थानीय लॉ कॉलेज में प्रतिवर्ष लगभग एक लाख रुपये फीस देकर पढ़ रहा है । जब मैने अचरज किया तो वह बोला कि सोनीपत में तो एक कॉलेज में एल एल बी की एक साल की फीस लगभग आठ लाख रुपये सालाना है । इन सभी कॉलेजेस में यदि कोई होस्टल में भी रह रहा है तो लगभग इतना ही खर्च अतिरिक्त पड़ता है ।     पानीपत में ही स्कूल टाइम के मेरे अनेक सहपाठी आज प्रतिष्ठित मेडिकल डॉक्टर है। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी मेरी तरह ही साधारण ही है । जो एक गवर्मेन्ट एडिड स्कूल में मामूली फीस देकर पढ़े और फिर अपनी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उनका मेडिकल कॉलेज में दाखिला हुआ और फिर व्यवसाय में आये । मैं कह सकता हूं कि इस प्रोफेशन में तमाम विसंगतियों के बावजूद भी उनके प्राइवेट अस्पताल में भारी संख्या में मरीज अपना इलाज अफफोर्डबल खर्च में करवाते है । आज भी सरकारी मेडिकल स्कूल ,कॉलेज अथवा व्यवसायिक संस्थान में इतनी ही फीस है जहाँ एक साधारण पृष्ठभूमि का कोई भी छात्र मामूली   फीस देकर  पढ़ सकते है । जबकि प्राइवेट संस्थानों में मेडिकल पढ़ाई एक वर्ष में लाखों रुपये खर्च से कम नही । जब को