अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर की 157 वें उर्स पर दिल्ली के ग़ालिब अकादेमी में मरहूम बादशाह सलामत के वर्तमान जीवित वंशज व पीठासीन नवाब शाह मो0 शुएब खान की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सम्मेलन तथा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें देशभर से सन 1857 के क्रांतिवीरों के वंशजों तथा स्वाधीनता तथा अमन-दोस्ती के लिये काम कर रहे अनेक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया । कार्यक्रम के प्रारम्भ में नवाब शाह मो0 शुएब खान साहब का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया । श्रीमती समीना खान ने मुग़ल खानदान की समृद्ध विरासत पर एक विस्तृत लेख का वाचन किया तथा अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के जीवन,विचारो तथा दर्शन को बताया । उन्होंने कहा कि अंतिम बादशाह एक खुद्दार हिंदुस्तानी थे जिन्होंने निर्दयी अंग्रेज़ी हुकूमत द्वारा अपने पुत्रों के कटे सिरों को पेश करने के बावजूद भी बिना विचलित हुए विदेशी दासता को स्वीकार नही किया । अंत मे विदेशी निर्लज्ज शासको ने हिंदुस्तान के इस मालिक को इनके ही मुल्क से जिला वतन कर रंगून भेज कर अपमानित जीवन व्यतीत करने को विवश कर दिया पर उन्होंने अपने देश के गौरव...