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Showing posts from July 29, 2019

युद्ध नहीं, बुद्ध चाहिए

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युद्ध नहीं, बुद्ध चाहिए नॉर्थगेट, सिएटल (वाशिंगटन) में सैर से लौटते हुए एक बहुत ही खूबसूरत स्थान देखने को मिला ,पता चला कि यह तो कब्रिस्तान है। लगभग 50-60 एकड़ में फैले इस पार्क नुमा स्थान पर जगह के मुताबिक कब्रें ही कब्रें थीं। पर एक जगह एक शिलालेख देखकर रुक गया वहाँ खुदा था कि ये उन अमेरिकी युवा सैनिकों की कब्रें हैं, जो अनेक युद्धों में मारे गए हैं। जानकारी मिली कि लड़ाइयों में इस देश के लाखों सैनिक मारे गए हैं। अमेरिकन गृह युद्ध (1861-65) में 7,50,000 सैनिक, प्रथम विश्व युद्ध (1917-18) में 1,16,516 सैनिक, दूसरे विश्व युद्ध (1941-45) में 4,05,399 सैनिक, विएतनाम युद्ध (1961-75) 58,209 सैनिक, कोरियन युद्ध (1950-53) 54,246 सैनिक,  इराक युद्ध (2003-2011) 4,497 सैनिक, अफ़ग़ानिस्तान युद्ध (2001 से अबतक) 2,216 सैनिक मारे जा चुके हैं। जाहिर है इतने अमेरिकी सेनिकों की मौत के बाद उनकी कब्रें उनके पैतृक शहरों में ही बनी होंगी। पता चला कि अमेरिका के हर छोटे बड़े नगरों, कस्बों व गांवों के कब्रिस्तान सेनिकों की आरामगाहों से पटे हैं।  इस मौके पर जावेद अख्तर की एक कविता बरबस याद आ

अमेरिका में गंगा

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अमेरिका में गंगा की खोज पुराणों में कहा है कि यदि सहस्त्रों योजन दूर से भी गंगा स्तुति की जाए तो उसका महात्म गंगा स्नान जैसा ही है । गंगा- भारत से लगभग 19 हजार किलोमीटर दूर, आज  मैंने एक नदी में गंगा-2 का जाप कर स्नान किया व खूब गोते लगाए । प्रसिद्ध कथाकार राही मासूम रज़ा, जो गंगा किनारे गाज़ीपुर के थे, को अपनी मां गंगा नदी से बहुत प्यार था । उन्होंने लिखा है कि वे गंगा के पुत्र है और यदि वे कहीं किसी दूसरे देश में गुजर जाएं और उनके पार्थिव शरीर को गाज़ीपुर लाना नामुमकिन हो तो उन्हें उस देश की किसी नदी के किनारे दफना कर उस नदी को कहना कि " यह गंगा का बेटा है ,इसका ख्याल रखना ।"   आज हमने भी अपनी गंगा मां को अमेरिका में ढूंढ ही लिया और अपने सभी प्रिय मित्रों, पारिवारिक जन व पितरो के नाम के खूब गोते लगाए ।     मुझे यहां एक सज्जन बता रहे थे कि भारतीय अमेरिकी हिन्दुओं ने एक यहां रह रहे एक साधू स्वामी जी को अमेरिका का पीठाधीश्वर शंकराचार्य भी घोषित कर दिया है । (वाशिंगटन 28 जुलाई 2019: राममोहन राय की कलम से साभार )