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Showing posts from May 15, 2020

Alcohol be prohibited : अंगूरी गरली है, निषिद्ध हो

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  अंगूरी गरली है, निषिद्ध हो ! दा रू की दुकानों पर इतना मजमा देखकर लगा कि संक्रमित लोग कोरोना की वैक्सीन खरीदने में जुटे हैं| एक ही दिन में योगी सरकार को सौ करोड़ रुपयों की आवक हो गई| बापू के चेलों (नेहरू-इंदिरा) के राज में बेझिझक ज्यादा लाभ मिलता था| उसी वक्त से ही मद्यनिषेध और आबकारी विभागों में सहभागिता सृजित की गयी थी| हालाँकि दर्शनशास्त्र के मुताबिक यह विरोधाभासी है, किन्तु दलीय राजनीति की नजर में बेमेल नहीं| आजाद भारत के इतिहास में केवल मोरारजी देसाई के राज में ही मद्यनिषेध का असली अर्थ शराब-बंदी थी| तब वे अविभाजित मुंबई राज्य के गाँधीवादी मुख्य मंत्री थे| सोवियत प्रधान मंत्री बुल्गानिन और रूसी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव ख्रुश्चोव मुंबई आये| दोनों को मुख्य मंत्री का निर्देश था कि शराब के लिए परमिट हेतु राज्य मद्यनिषेध अधीक्षक को दरख्वास्त दे दें| पर ये दोनों रूसी मास्को से ही वोदका भरकर लाये थे| एक अन्य अवसर पर जब मोरारजी देसाई नेहरू काबीना में वित्त मंत्री थे तो ब्रिटिश प्रधान मंत्री मैकमिलन के सम्मान में दिल्ली स्थित उच्चायुक्त भवन में रात्रिभोज था|

Chaudhry Mahendra Tikait : किसानों का क्रांतिदूत चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत

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    किसानों का क्रांतिदूत : चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत                 (6 अक्टूबर 1935 – 15 मई 2011) किसानों को हकों के लिए संघर्ष करने के रास्ते पर लाए टिकैत  कि सान मसीहा चौधरी महेंद्र टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर के कस्बा सिसौली में 6 अक्टूबर 1935 में एक जाट परिवार में हुआ था। गांव के ही जूनियर हाईस्कूल में कक्षा सात तक पढ़ाई की। उनके पिता का नाम चौधरी चौहल सिंह टिकैत और माता जी श्रीमती मुख्त्यारी देवी थीं। चौधरी चौहल सिंह टिकैत बालियान खाप के चौधरी थे। चौधरी महेन्‍द्र सिंह टिकैत को एक जुझारु किसान नेता के तौर पर पूरी दुनिया जानती है लेकिन यह व्‍यक्ति एक दिन में या किसी की कृपा से 'किसानों का मसीहा' नहीं बन गया बल्कि सच तो यह है कि कभी इस शख्‍सीयत ने धूप-छांव, भूख-प्‍यास, लाठी-जेल की परवाह नहीं की। अगर अपने कदमों को किसान संघर्ष के लिए बाहर निकाल दिया तो फिर कभी पीठ नहीं दिखाई चौधरी साहब किसानों के सच्चे हितैषी और किसानों को उनका हक दिलाने के लिए सदैव तत्पर रहते थे। अब किसान आंदोलन की वो बुलंद आवाज नहीं किसान आंदोलन की जैसी आवाज चौधरी मह

Journalist Pawan Mittal passed away : दैनिक मयराष्ट्र के प्रधान संपादक पवन मित्तल का निधन

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 दैनिक मयराष्ट्र के प्रधान संपादक का निधन  मेरठ में दैनिक मयराष्ट्र के प्रधान संपादक श्री पवन मित्तल जी का आज प्रातः दिनांक 14 मई 2020 को स्वर्गवास हो गया वह पिछले काफी समय से कैंसर से पीड़ित थे उनके निधन पर उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के पदाधिकारी पंकज मंगल, राजेंद्र चौहान, बालकिशन शर्मा और अन्य सदस्यों द्वारा  शोक व्यक्त किया गया और दिवंगत आत्मा की शान्ति हेतु भगवान से प्रार्थना की।  पवन मित्तल स्वतंत्रता सेनानी एवं वरिष्ठ पत्रकार स्व. श्री मामचंद मित्तल के सुपुत्र थे। मामचंद मित्तल जहां मेरठ में पत्रकारिता के माध्यम से आजादी की अलख जगाने वाले पत्रकारों में से एक थे वहीं आजादी के बाद भी वह अपने पूरे जीवनकाल में जनहितों के लिए लड़ते रहे। उनके बाद उनके सुपुत्र पवन मित्तल ने भी "मयराष्ट्र" की ज्योति को जलाए रखा। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी ने वास्तव में पवन मित्तल जी को असहाय ही बना दिया था। उनके निधन से मेरठ के पत्रकारिता जगत को भारी क्षति हुई, जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है।