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Showing posts from November 12, 2021

NGOs and how many treatments suprime Court

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 एनजीओ ! और कितने उपचार ? के. विक्रम राव         एनजीओ (गैरसरकारी संस्थान) की जनसेवा पद्धति पर नजर तिरछी करते हुये एक बार फिर कल (9 नवम्बर 2021) सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फिक्र व्यक्त किया। आदेश दिया कि हर दान की राशि के व्यय करने का उद्देश्य बताना लाजिमी है। राजग सरकार द्वारा विदेशी वित्तीय चन्दे से संबंधी कानून के संशोधन—नियमों को कुछ एनजीओ ने चुनौती दी थी। उनकी याचिका पर अदालत में विचार हुआ। इस संदर्भ में मेरी एक निजी व्यथा का उल्लेख कर दूं। जब भी मैं सेवाग्राम (वार्धा), जहां मेरा बचपन गुजरा, तीर्थ करने जाता हूं तो पाता हूं कि इस नगर में एनजीओ की संख्या ज्यादा बढ़ गयी है। इन्होंने धनराशि पाने हेतु अपना पता बापू द्वारा पुनीत की गयी इस भूमि का ही दिया है। देश—दुनिया में गांधी जी (राष्ट्रपिता, न कि कांग्रेसी) का नाम खूब भुनाया जाता है। ऐसा क्यों हुआ कि इतने साल ​बीते मगर किसी भी सरकार ने इसकी परख करने या दुरुपयोग रोकने का प्रयास नहीं किया? सरकारी अमला भी लूट का बटाईदार हो गया है। क्या वजह है कि अधिकतर एनजीओ के मालिक अवकाशप्राप्त प्रशासकगण हैं। कई पुराने आईएएस अफ...

A Wonderful freedom fighter of India J B kriplani

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 एक अद्भुत स्वाधीनता सेनानी के. विक्रम राव           आजादी के अमृत महोत्सव पर आज (11 नवम्बर) उनकी जयन्ती पर एक बांका योद्धा याद आया। वह त्रासदी का पर्याय था। शेक्सपियर के शोकान्तक नाटक के नायक के सदृश। उसने दो सदियां देखीं। उन्नीसवीं और बीसवीं। अपनी जन्मसती के ठीक सात साल पूर्व ही विदाई ले ली थी। पहले ब्रिटिश साम्राज्यवाद से लड़ा। फिर जिन्ना से और अंत में इंदिरा गांधी के आपातकालीन सत्ता के विरुद्ध। अलबेला था। नाम था आचार्य जीवतराम भगवानदास कृपलानी।           ठीक स्वतंत्रता के वर्ष (1947) में राष्ट्रीय कांग्रेस के वे अध्यक्ष थे। बापू के साथ विभाजन की पुरजोर खिलाफत की थी। अपनी जन्मभूमि (सिंध) गवां दीं। इसके लिये जवाहरलाल नेहरु को उन्होंने कभी भी क्षमा नहीं किया। इस सिंधीभाषी सोशलिस्ट राष्ट्रनायक की बांग्लाभाषी कांग्रेसी पत्नी सुचेता (मजूमदार) कृपलानी उत्तर प्रदेश की चौथी तथा भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री रहीं। संविधान निर्मात्री सभा की प्रथम बैठक पर वंदे मातरम् गाया था।          आज अपने छह दशक के छात्र ...

How's the Cricket feeling Pakistan India

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 कैसी हो क्रिकेट की भावना ? के. विक्रम राव               रात ढले कल कुछ मित्रों का फोन आया। बोले : ''पाकिस्तान टी—20 के फाइनल से बाहर हो गया।'' आलोड़ित थे। मानो आस्ट्रेलिया नहीं, भारत जीत गया हो ! तब तक मैं बड़ा आक्रोशित हो रहा था। कारण था कि फील्डर हसन अली ने बैटर मैथ्यू वेड का बेशकीमती कैच छोड़ दिया। फिर वेड ने साथी मार्कस स्टोइंस की जोड़ी में कप्तान मोहम्मद बाबर आजम की टीम को दुबई में टी—20 मैच में हरा दिया। मैंने सोचा अगर पुराना असली बाबर—ए—आजम उजबेकी होता तो आज हसन अली का अबुधाबी में चौराहे पर सर कलम करा देता। या कोड़ों की मार से लहूलुहान बना डालता। यहां दो समान हादसों की तुलना करें। भारतीय बालर मोहम्मद शमी को न्यूजीलैण्ड से हार पर दोषी करार देते हुए उनके मजहब पर कुछ हिन्दुओं ने टीका—टिप्पणी की थी। कप्तान विराट कोहली ने शमी की पुरजोर रक्षा की थी (20 अप्रैल 2019)। मगर कल से पाकिस्तानी मीडिया हसन अली की भारतीय पत्नी सामिया आरजू को भारतीय गुप्तचर एजेंसी की सहायिका बताकर संदेह के घेरे में ला रही हैं। सामिया भारतीय विमान सेवा में परिचारिका थी...

PEC demands fair probe into murder of another Pakistani digital media user

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 PEC demands fair probe into murder of another Pakistani digital media user Geneva: Press Emblem Campaign (PEC), the global media safety and rights body, expresses serious concern over the relentless murder of scribes, citizen journalists and digital media users in Pakistan for exposing anomalies in the government, administration, and society through various media outlets and demands fair probes into all those assassinations. Local media outlets reported that one more active Pakistani social media user named Muhammad Zada was killed by two gunmen on 8 November 2021 at his residence in Sakhakot area of Malakand locality under Pakistan’s northwest Khyber Pakhtunkhwa province. Zada (35) ran a digital platform titled Citizen Journalist PK, where he used to post socially relevant issues relating to his home district of  Malakand. The outspoken social activist always took his stand against the illegal drug mafia and expressed his concern about the new generation, who are seemingly u...

PPFA lambasts villagers diktat on woman, urges NCW to take action

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 PPFA lambasts villagers’ diktat on woman, urges NCW to take action Guwahati: Patriotic People’s Front Assam (PPFA), while expressing utter dismay over the diktat of a group of villagers to send a native woman along with a teen out of the locality for illicit relationship with some people, urged the concerned authority including the National Commission for Women (NCW) to take necessary action against those village-judges to pronounce and implement the decision. The forum of nationalist citizens also dared the village-headman, who was reportedly instrumental in realizing that particular decision, to reveal names of all those ‘holy men’ (probably most of them belong to the village itself) who frequently visited the ‘loose character’ village woman taking advantage of her husband’s absence. Local media reports narrate a shocking story that a middle-aged woman from Dighala Chapori village under Lakhimpur district in eastern Assam was banished for 12 years as she was ‘found’ having illic...