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Showing posts from March 7, 2012
अफसरों की राय में मायावती की हार   एक मेरे घनिष्ट प्रशासनिक अधिकारी ने फोन पर मायावती की हार के कारणों को लेकर अलग ही बात बताई। उनका कहना था कि तीन साल पहले सत्ता विरोधी रुझान की सरसराहट को अगर मायावती ने तनिक महसूस किया होता तो शायद वह इस माहौल को आंधी में बदलने से रोक सकती थीं, लेकिन वे केवल सोशल इंजीनियरिंग के भरोसे सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रहीं थीं। अब यह उनके लिए महज रेत का टीला ही साबित हुआ। बसपा इस सवाल को नहीं समझ पाई कि जब पांच साल के लिए पूर्ण बहुमत का जनादेश मिला है तो दागियों, माफिया को गले लगाने की क्या जरूरत है? अगर किसी का अपराध सामने आता है तो उस पर कार्रवाई करने में हिचकिचाहट क्यों रहती है? यह सवाल पहले बसपा काडर से उठता था धीरे-धीरे जनता के बीच उठने लगा। हर समस्या के लिए विरोधियों या केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ने वाली बसपा सरकार से जनता ने अब सपा के पक्ष में  जनादेश देकर पूछा है कि जब आपको केवल आरोप ही लगाना है तो आपकी जरूरत ही क्या है?  पांच साल पहले बसपा को जो कामयाबी मिली थी उससे बड़ी कामयाबी सपा को इस बार हासिल हुई है। वहीं सपा ने बसपा क ो भी दस स
 जाति विरोधी भावना को महसूस नहीं कर पाईं मायावती जी! उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार धराशाई हो गई, जिसको लेकर कोई सत्ता विरोधी आंधी बता रहा है तो कोई मायावती के भ्रष्टाचार को लेकर जनादेश बता रहा है। मेरा इस परिणाम को लेकर अलग ही मानना है और इसको लेकर मैं 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी कहता रहा हूं कि उत्तर प्रदेश में मायावती को सबल वर्ग ने वोट देकर पूर्ण बहुमत का दलित मुख्यमंत्री बनाया जरूर है, लेकिन मायावती के मुख्यमंत्री बनते ही किए गए व्यवहार को लेकर जातीय भेदभाव से सबल वर्ग उबलने लगा है। सभा के खुले स्थलों के मंचों पर प्रधानमंत्री की सभाओं का उदाहरण देकर एसी लगवाना. मंच पर अकेले बैठकर सबल वर्ग के मंत्रियों और विधायक से पैर छूने को देखकर सबल वर्ग पचा नहीं पाया। कई सबल वर्ग के मंत्रियों और विधायकों को इस बाबत कई बार अपने क्षेत्रों में विरोध भी झेलना पड़ा।  जब मायावती और उनकी पार्टी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री बनने की हुंकार भरी तो इसको सबल वर्ग अपनी आंतरिक दलित विरोधी भावना को दबा नहीं पाया और ऐसा अंडर करंट फैला कि 50 से
STORY A sage presented a prince with a set of three small dolls. The prince was not amused. "Am I a girl that you give me dolls?" he asked. "This is a gift for a future king," said the man. "If you look carefully, you'll see a hole in the ear of each doll." "So?" The sage handed him a piece of string. "Pass it through each doll," he said. Intrigued, the prince picked up the first doll and put the string into the ear. It came out from the other ear. "This is one type of person," said the man. "Whatever you tell him comes out from the other ear. He doesn't retain anything." The prince put the string into the second doll. It came out from the mouth. "This is the second type of person," said the man. "Whatever you tell him, he tells everybody else." The prince picked up the third doll and repeated the process. The string did not reappear from anywhere else. "This