हैदराबाद :नाकामी छिपाने के लिए मुठभेड़ के नाम पर पुलिस ने किया कत्ल ?
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मुबाहिसा : राजेन्द्र मौर्य रात को सबकुछ अच्छे की उम्मीद लेकर लोग सोते हैं, लेकिन इन दिनों देखा जा रहा है कि दिन निकलते ही कोई न कोई हतप्रभ कर देने वाली खबर मिलती है, जिसे देश की भोली-भाली जनता सरकार या पुलिस की बहादुरी का कारनामा मानकर खुशी मनाने लगती है। जनता तो जनता कुछ टीवी पर मुखड़ा दिखाने के लिए बेताब विभिन्न वर्गों के स्वयंभू प्रतिनिधि भी आधारहीन बहस का हिस्सा बन जाते हैं, जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था और कानून की खूब धज्जियां उड़ाई जाती हैं। आज सुबह उठा तो मेरे एक मित्र राजकिशोर बादली ने बताया कि एक कवयित्री ने वाट्सएप संदेश दिया है कि हैदराबाद कांड के चारों आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराया है। यकीन नहीं हुआ तो तुरंत अपने समाचार तंत्र से पुष्टि की। कुछ देर तक सोचने और मीडिया की बहसों, हैदराबाद पुलिस की ब्रीफिंग, संसद की जनभावना से मेल खाती प्रतिक्रिया सुनीं। पूरे विश्लेषण के बाद एक बात तय लग रही है कि यह पुलिस मुठभेड़ नहीं है, बल्कि तेलंगाना सरकार और हैदराबाद पुलिस की नाकामी को छिपा