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International WEBINAR Poetry : कभी-कभी ने किया अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन

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"कभी-कभी" के तत्वावधान में ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय  काव्य गोष्ठी का अनूठा आयोजन हुआ, जिसमें  पद्मश्री मेहरून्निसा परवेज़ जी के मुख्य आतिथ्य में पद्मश्री  मालती जोशी जी के सारस्वत आतिथ्य और उषा जायसवाल जी की अध्यक्षता में देश-विदेश की चुनिन्दा कवयित्रियों ने भाग लिया।   काव्य-गोष्ठी का आरंभ हुआ दमोह निवासी प्रसिद्ध साहित्यकार पुष्पा चिले जी  से, उन्होंने अपनी रचना ''चिरागे दिल को सँभालो कहीं बुझ ना जाये' पढ़ी।   मुरैना निवासी भारती जैन दिव्यांशी   ने गीत 'जागरण को जी रही हूँ।' भोपाल की  डॉ. राजश्री रावत 'राज'  ने गजल "नसीब में तेरे कुछ है तो मिल ही जाना है" रायपुर  रूपेंद्र राज   ने पर्यावरण पर "हो रहा धैर्य संयम का नित हनन" भोपाल की प्रसिद्ध कवयित्री ममता वाजपेयी जी ने गीत, "आँखों से नींदें उलीचने वाले दिन" दमोह की डॉ प्रेमलता नीलम  ने पर्यावरण पर "दोपहर की धूप जलते धरती पे पाँव''  उन्नाव से जयप्रभा यादव ने "मन अमराई की ओर चलो" मुजफ्फरनगर  से प्रसिद्ध पुष्पलता ने  'लुकती-छुपती प्रीत वो, कहाँ गया न...