Mahabharat : तुम मेरी राखो लाज हरि
Mahabharat : तुम मेरी राखो लाज हरि कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र को विशाल सेनाओं के आवागमन की सुविधा के लिए तैयार किया जा रहा था, इसमें हाथियों का इस्तेमाल पेड़ों को उखाड़ने और जमीन साफ करने के लिए किया जा रहा था । ऐसे ही एक पेड़ पर एक टटीरी (गौरैया) अपने पाँच बच्चों के साथ रहती थी, लेकिन बच्चे अभी अंडों के भीतर ही थे, अभी तक वे बाहर प्रकट नहीं हुए थे । जब उस पेड़ को उखाड़ा जा रहा था, तब उस टटीरी का घोंसला उसके अंडों सहित जमीन पर आकर गिर पड़ा । पर अण्डे टूटे नहीं, सुरक्षित रहे । कमजोर और भयभीत टटीरी मदद के लिए इधर-उधर देखती रही । तभी उसने भगवान श्रीकृष्ण को अर्जुन के साथ वहाँ आते देखा । वे महाभारत युद्ध से पहले युद्ध के मैदान का निरीक्षण करने के लिए वहाँ आए थे । टटीरी ने भगवान के रथ तक पहुँचने के लिए अपने पंख फड़फड़ाए और भगवान के पास पहुँचकर प्रार्थना की - 'हे प्रभु ! मेरे बच्चों की रक्षा कीजिए । कल युद्ध शुरू होने पर वे कुचले जाएंगे ।' सर्वव्यापी भगवान ने ईशारे में कहा - 'मैं तुम्हारी बात सुन रहा हूँ, लेकिन मैं प्रकृति के कानून में हस्तक्षेप नहीं...