मथुरा : यात्रा वृतांत के साथ चौबे जी का इतिहास
म थुरा में मधुवनदत्त चतुर्वेदी, मेरे हम ख़्याल ही नहीं हम पेशा व हम उम्र भी हैं। इतिफाक से मेरे बेटे की तरह उनके बेटे का नाम भी "उत्कर्ष" है । दोनों एक जैसे ही ऊर्जावान तथा युवा क्रांतिकारी। सोशल मीडिया पर मेरा उनसे संपर्क विगत कई वर्षों से है, परंतु मिलने का सौभाग्य पहली बार कृष्ण नगरी मथुरा में आने पर आज मिला। ब्रज क्षेत्र में बार बार आना सदा मेरे आकर्षण का केंद्र व सुखद रहा है, पर इस बार का अनुभव विशेष रहा। "आम के आम गुठलियों के दाम" कहावत को चरितार्थ करता। जब मेरी पत्नी श्री द्वारिकाधीश मंदिर के दर्शन व विश्राम घाट श्री यमुना जी की आरती का दर्शन लाभ लेने पुण्य प्राप्त कर रही थी। उसी दौरान श्री चतुर्वेदी, उनके सुपुत्र उत्कर्ष के साथ हम स्व0 दीदी निर्मला देशपांडे जी के अनन्य सहयोगी विख्यात रचनात्मक, सामाजिक व राजनीतिक चिंतक श्री शिवदत्त चतुर्वेदी जी के साथ तात्कालिक संदर्भों में मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे थे। श्री शिवदत्त चतुर्वेदी से मिलकर विश्राम घाट से चलकर यमुना के घाटों का दर्शन लाभ करते हुए श्री कृष्ण जन्मभूमि की ओर जाते हुए मैंन...