All India Radio declares Jyoti Basu a freedom fighter
रेडियो के लिये ज्योति बसु स्वतंत्रता सेनानी हैं ! के. विक्रम राव आज आकाशवाणी ने अपने समाचार बुलेटिन में ''आजादी के अमृत महोत्सव'' श्रृंखला में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट ज्योति बसु को भी स्वधीनता सेनानी की सूची में शामिल कर लिया। बखान भी काफी किया। यह सरासर मिथ्या है। सफेद झूठ है। इस अनीश्वरवादी बंग कम्युनिस्ट नेता का आज (17 जनवरी 2022) बारहवां निर्वाण दिवस है। बसु ( 8 जुलाई 1914) का जंगे आजदी से नाता तलाशना अंधरे कमरे में काली बिल्ली को ढूंढना जैसा है, जहां वह है ही नहीं। मानों हिंसक शेर को शाकाहारी कहना। स्वाधीनता—आन्दोलन में बसु कभी भी जेल नहीं गये। ब्रिटिश राज का विरोध तक नहीं किया। क्रान्तिभूमि बंगाल में कभी भी किसी गोरे अफसर का सर गोली या लाठी से नहीं फोड़ा, जो तब आम बात थी। अलबत्ता तीन बार प्रधानमंत्री बनते—बनते बसु अटक गये। उन्हीं की पार्टीजनों ने लत्ती मार दी। यथा लालू यादव ने सजातीय मुलायम सिंह को लंगड़ी लगा दी और नतीजन कन्नड़ गड़रिया देवेगौड़ा की लाटरी खुल गयी थी। बसु ने (अगस्त 1942) नेताजी सुभाषचन्द बोस को जापानी प्रधा...