Upnyas: दूब का बंदा (समीक्षा)
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सुप्रसिद्ध लेखक डॉक्टर पुष्पलता का बाल मन को छू लेने वाला उपन्यास है "दूब का बंदा" आदरणीया, आपका उपन्यास दूब का बन्दा पढ़ा अभी उपन्यास के नायक द्वारा अंत में ये कहना कि अपने दादू की इज्जत कभी कम नही होने देगा।।।उसे दूब का बन्दा मिल गया बहुत सुंदर ,60 पेज का सहज सुखद,सामयिक प्रभाव शाली, विचारणीय,प्रेरक, सही दिशा- निर्देश देने वाला, बाल मन को प्रभावित कर उसे रास्ता दिखाने वाला । पात्र राहुल का सुखद अहसास सदा बाल मन को स्मरण रहने वाला है ।यादगार,सटीक जानकारी देता एक ऐसा उपन्यास है "दूब का बन्दा" जो बाल हिन्दी साहित्य में सदा अपने समय को याद दिलाता, प्रेरणा देता रहेगा ।डॉ पुष्पलता जी सचमुच खूब बधाई की हकदार हैं कि आज जब बाल साहित्य हाशिये पर खड़ा है ऐसे समय डॉ पुष्पलता जी का यह उपन्यास मील का पत्थर साबित होगा। सहज यथार्थ , बाल मन का खूब सूरत चित्र हमारे सामने रखता है । यह बच्चों के मन,मस्तिक को अवश्य प्रभावित करेगा ।बच्चो की बातचीत के माध्यम से खूब सहजता से अपनी बात रखती हैं डॉ पुष्पलता जी। देखे सहज बानगी।। सुन यार ,तेरे पास कितने पैसे हैं । राह