गुजरात : महाशिवरात्रि और दयानंद सरस्वती
हम अहमदाबाद में हैं , हाँ वही गुजरात की पूर्व राजधानी । जो काफी नजदीक है काठियावाड़ मोरवी के निकट टंकारा के जहां ऋषिवर दयानंद का जन्म हुआ था । जहाँ आज ही के दिन शिवरात्रि के पर्व पर एक 14 वर्षीय बालक मूलशंकर जो रियासत के दरबारी शिव भक्त क्रष्ण जी तिवारी का पुत्र था , को बोध हुआ था । उस बालक ने भी इस दिन के महत्व को जान कर पूरे दिन उपवास रख रात्रि को मंदिर में शिवलिंग की पूजा करते हुए जाग कर परमेश्वर प्राप्ति का उद्यम किया था । पर आधी रात होते ही जब सब भक्तजन ऊँघने लगे फिर भी वह जागता रहा शिव प्राप्ति के लिये । पर यह क्या मंदिर के बिल से कुछ चुंहे निकले और लिङ्ग प्रतिमा पर उछल कूद कर उस पर चढ़े फल-मिठाई खाने लगे । और यहीं से उस बालक का भ्रम टूट गया और उसे बोध हुआ कि जो शिव अपनी रक्षा नही कर सकता वह हमारी रक्षा कैसे करेगा ? और तभी घर आकर व्रत तोड़ा और निश्चय किया सच्चे शिव की प्राप्ति का । यही एक ऐसा मोड़ रहा जिसने मूलशंकर को शुद्ध चैतन्य नाम से यात्रा करते हुए दयानंद के मुकाम पर पहुचाया । वह दर-2 भटकते हुए पहुंचा मथुरा एक प्रज्ञाचक्षु सन्यासी स्वामी विरजानंद के पास और उस गुरु ने अपन...