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Showing posts from April 5, 2021

50 years of watergate conspiracy : वाटरगेट साजिश के पांच दशक

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 वाटरगेट साजिश के पांच दशक           वाटरेगट ? राजधानी वाशिंगटन में पोटेमेक नदी के निकटवाला स्थल। स्मृति पटल को पोछिये। दमक कर याद आ जायेगा। ठीक पचास साल पुरानी (रविवार, 18 जून 1972 की) खबर है। तब सर्वशक्तिमान अमेरिका के महाबलशाली रिचर्ड मिलहाउस निक्सन पर विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के कार्यालय में सेंधमारी के कारण महाभियोग चला था। निक्सन ने ल​ज्जा के मारे त्यागपत्र दे दिया था। जलील हुये। खलनायकी का इतिहास रचा। उस दौर में हीरो थे हमपेशेवर दो अदना रिपोर्टर—एक उन्नीस साल का तो दूसरा बीस का। तेज तर्रार थे, उभरती हुयी जवानी थी, इसीलिये निडर थे। फिर काहे का, किससे डर? उनके साहस से खोजी पत्रकारिता विश्व में कीर्ति के एवरेस्ट पर चढ़ गयी थी। मीडिया संस्थानों में भर्ती के नये रिकार्ड बन रहे थे। युवजन में सैनिक के बाद श्रमजीवी पत्रकार बनने की आकांक्षा कुलाचे भर रही थी। राष्ट्रपति को गिराने वाले इस युवाद्वय ने युगांतरकारी घटना को अंजाम दिया था। दुनिया के हम जैसे रिपोर्टरों के लिये वे सदा यादगार हैं। वाटरगेट साजिश को निर्भयता से पर्दाफाश करने वाले वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार युगों तक आराध्य रहेंगे। अ

Samajwadi Babu Bhagwati ji : एक निखालिस समाजवादी का गाना

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 एक नि खालिस समाजवादी का जाना            लोहियावाद के स्तम्भ बाबू भगवती सिंह का आज (4 अप्रैल 2021) लखनऊ में निधन हो गया। निखालिस समाजवादी थे। मृत्यु पर भी परहित ही किया। देहदान कर दिया ताकि उनके अवयवों और अंगों से अपंगों का भला हो सके। संयोग है कि गत माह ही (13 मार्च 2021) को बख्शी का तालाब में उनके निवास पर मिलने गया था। सहायक अजय सिंह भदौरिया ने भेंट करायी थी।          भगवती बाबू के जन्मदिवस (26 अगस्त 2001) पर आयोजित उत्सव पर मेरा लेख प्रसारित हुआ था। मेरी पुस्तक ''मानेंगे नहीं, मारेंगे नहीं'' (प्रकाशक : अनामिका नई दिल्ली) से उद्धृत लेख नीचे प्रस्तुत है:—            *मेरे साथ भगवतीजी*              ''पांच दशक से अधिक हो गये जब बाबू भगवती सिंह जी से पहली बार मेरी भेंट हुई थी। डा. राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में गठित (1956) सोशलिस्ट पार्टी के मुख्यालय में भगवती बाबू प्रभारी थे। लखनऊ के पानदरीबा-स्थित लीला निवास में तब पार्टी कार्यालय होता था। उन्हीं दिनों प्रजासोशलिस्ट पार्टी में विभाजन हुआ था। आचार्य जीवतराम भगवानदास कृपलानी की अध्यक्षता वाली पीएसपी ने अपने ह

Indian men & women : दांपत्य की चक्की में फंसे भारतीय स्त्री पुरुष

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 "दाम्पत्य की चक्की  में फंसे भारतीय  स्त्री पुरुष " पु रुष ऐसे भी हैं, जो स्त्री से बात करते हुए घबराते हैं, जो जैसी भी  मिल गई उसने जो दे दिया खा लिया। बस उसी के बच्चों  के  होकर रह जाते हैं, मित्र भी बनाते हैं तो हमेशा मर्यादा में ही रहते हैं। कुछ ऐसे हैं जो बदमाशियां तो सारी कर लेते हैं, मगर बीवी को भनक नहीं लगने देते। उसका मूर्ख बनाकर रखते हैं, वे बड़े गर्व से कहती हैं कि हमारे ये तो बड़े सीधे हैं, ऐसे नहीं हैं। उन्हें पता नहीं होता, ये तो उस्ताद हैं, वही मूर्ख है।   पुरुषों की ये तीसरी  नस्ल है, जो शादी से पहले भी इधर उधर कुछ गड़बड़ कर चुकी होती है तो उन्हें ये  आदत होती है ।फिलहाल मेरे बहुत नजदीक परिचय में  तीन स्त्रियाँ विषम परिस्थितियों से जूझ रही हैं। कारण हैं  उनके  पति  के विवाहेत्तर संबंध। एक तो कॉल गर्ल वाला है, एक का दोस्त की बीवी से रिश्ता है। दोस्त की बीमारी में उसकी मदद करने गया, उसे छोड़ बीवी की मदद ज्यादा जरूरी लगी। एक विधवा या तलाकशुदा से दूसरी शादी के चक्कर में है। दोस्त की बीवी वाला 67 वर्षीय, कॉलगर्ल वाला 60 वर्षीय और तलाकशुदा वाला 59 वर्ष