Eid Ul Adha : ईद पर गमजदा रहे कई मुसलमान
ईद पर गमजदा रहे कई मुसलमान !! के. विक्रम राव अ रब, पठान, मलमो तथा अन्य सुन्नी—बहुल फिरकों के मुल्कों में ईद—उल—अजाह मनाया तो गया, मगर इस त्याग, प्रेम और बलिदान के प्रतीक पावन पर्व पर आगजनी, खूरेंजी, बमधमाका और सहअकीदतमंदों पर हिंसा बेतहाशा हुयी। काबुल के राष्ट्रपति भवन पर नमाज अता करते हुए सदरे जम्हूरिया अशरफ घनी तथा पैगंबर के कई अनुयायियों पर तालिबानियों ने राकेट और गोले दागे। ईस्लामी स्टेट आफ ईराक एण्ड सीरिया के आतंकियों ने अपनी ''अमाक'' संवाद समिति द्वारा प्रसारित किया था कि इन गद्दारों पर हमला जायज है। अमाक एजेंसी का नामकरण किया पत्रकार बारा काडेक उर्फ रायन मशाल ने। वह अमेरिकी बमबारी में मारा जा चुका है। संवाद समिति का नाम भी महत्वपूर्ण है। दक्षिण तुर्की के अमूक घाटी के मजहबी स्थल से जुड़ा है। वहीं इन इस्लामी गणराज्यों से शिया, इबादी, अहमदिया, आगा खान के शिष्यों आदि के संहार का निर्देश जारी होता है। इसी के खलीफा अबु बकर अल बगदादी यदाकदा जलवा अफरोज हुआ करते थे। इन्हें बाद में अमेरिकी सैनिकों ने मार डाला। ईद के पर्व पर बगदाद के समीप भीड़भाड़ वाले सद