Mahabharata (VIDEO): सूर्य पुत्र कर्ण को माता कुंती ने बनाया सूत पुत्र, हुआ कदम कदम पर अपमान
Mahabharat : दुर्योधन से दोस्ती का अंतिम सांस तक निभाया कर्ण ने अपमानित किए जाने पर कर्ण को दुर्योधन ने भरी सभा में बनाया अंगदेश का राजा महाभारत में कर्ण को भले ही हर मोड़ पर पाप का साथ देने वाला योद्धा साबित करने की कोशिश की गई। कर्ण की हर मौके पर बुराई ही दिखाई दी। फिर चाहे वह द्रौपदी चीर हरण हो या फिर हर अन्याय के फैसलों में अपने दोस्त दुर्योधन का साथ देना। कर्ण के जीवन को जब भी देखा जाता है तो उसमे बुराइयाँ ही दिखाई देती हैं। हालाँकि कर्ण के अंदर अच्छाइयों का अथाह भंडार था। कर्ण अर्जुन से भी बड़े तीरंदाज थे महाभारत में कर्ण का शुरूआती जीवन बहुत सारी कठिनाइयों से भरा रहा था, क्योंकि वह एक सूतपुत्र माने जाते थे। चूंकि अनाथ कर्ण का पालन पोषण एक रथ चालक ने किया था। और रथ चालक निचले दर्जे की जाति से था। इसकी वजह से ही कर्ण को तमाम मुश्किलें सहनी पड़ीं। उन्हें वह अधिकार नहीं मिले थे, जो बाकी लोगों को मिलते थे। कर्ण भले ही सूतपुत्र के नाम से जाने जाते थे मगर उनकी रगों में वीरता का खून था, इसलिए ही वह बचपन से धनुष-विद्या सीखना चाहते थे। माना जाता है ...