Corona's specter on the Central Vista project : मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा पर कोरोना संकट का सवाल
कोरोना महामारी के कारण इन दिनों देश की राजधानी में सेंट्रल विस्टा
प्रोजेक्ट भी मुख्य चर्चा का विषय बन गया है। जहां मोदी सरकार का यह ड्रीम
प्रोजेक्ट है, वहीं विपक्ष यह सवाल उठा रहा है कि हम अपने पुराने संसद भवन
से ही काम चला लेंगे। यह संकट का समय है, ऐसे में हमें 20 हजार करोड़ के इस
प्रोजेक्ट को तुरंत स्थगित कर देना चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का भी
दरवाजा खटखटाया गया है। कई ने इस प्रोजेक्ट के जरिए गुजरात के लोगों को
उपकृत किए जाने के भी आरोप लगाए हैं। लेकिन मोदी सरकार बिना किसी आलोचना की
परवाह किए अपने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने पर लगी हुई है। प्रमुख विपक्षी
दल कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल
गांधी ने तो सरकार पर यहां तक तंज कसा है कि मुसीबत में फंसे मजदूरों से
सरकार रेल का निर्धारित किराया भी अतिरिक्त शुल्क के साथ वसूल रही है और
गैर जरूरी इस प्रोजेक्ट पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पर अमादा है।
ऐेसे में हर किसी के मन में यह विचार और सवाल उठ रहा है कि आखिर यह
प्रोजेक्ट क्या है? वास्तविकता में यह बहुत ही गंभीर विषय है, जिसमें हमारी संसद
का भवन और राष्ट्रपति भवन के साउथ और नार्थ ब्लाक के साथ ही राजपथ का
नक्शा बदल जाएगा और देश के प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति को स्थायी आवास और
दफ्तर मिल जाएंगे। आइए जानते हैं कि क्या है सैंट्रल विस्टा
प्रोजेक्ट.....
- 2024 तक तीनों चरणों में पूरा होगा मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट
देश की राजधानी दिल्ली में संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय
और इसके आसपास राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले हरित क्षेत्र में
मौजूद सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास की महत्वाकांक्षी योजना को आकार दिए
जाने की तैयारी है। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना
को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में राष्ट्रपति भवन से इंडिया
गेट तक तीन किलोमीटर के दायरे में मौजूद ‘सेंट्रल विस्टा क्षेत्र’ को 2021
तक नया रूप दिया जाना है। जबकि मौजूदा और भविष्य की जरूरतों के मुताबिक
संसद भवन की नई इमारत का निर्माण 2022 तक और तीसरे चरण में सभी केन्द्रीय
मंत्रालयों को एक ही स्थान पर समेकित करने के लिये प्रस्तावित समग्र
केन्द्रीय सचिवालय का निर्माण 2024 तक करने का लक्ष्य है।
- नया संसद भवन, सभी मंत्रालयों के लिए साझा केंद्रीय सचिवालय बनेगा
नए सचिवालय में 10 भवन बनाए जाएंगे। संसद भवन के ठीक
बगल में नया संसद बनाया जाएगा। नॉर्थ और साउथ ब्लाक को एक कर म्यूजियम में
परिवर्तित किया जाएगा, साथ ही इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र
(आईजीएनसीए) को उसके वर्तमान स्थल से कहीं और स्थानांतरित किया जा सकता है।
प्रस्तावित योजना के अनुसार, विभिन्न मंत्रालयों के लिए एक साझा केंद्रीय
सचिवालय निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आईजीएनसीए इमारत के अलावा
उद्योग भवन, निर्माण भवन, शास्त्री भवन, उपराष्ट्रपति आवास सहित नौ अन्य
इमारतों को ध्वस्त किया जा सकता है। इसके अलावा राष्ट्रीय अभिलेखागार के
मॉडल को भी बदला जाएगा।
- प्रधानमंत्री को मिलेगा नया आवास, उसी के साथ होगा उनका दफ्तर
प्रधानमंत्री आवास और कार्यालय में भी परिवर्तन देखने
को मिलेगा। केंद्र सरकार का कहना है कि झोपड़ियों द्वारा किए गए अतिक्रमण
के कारण लगभग 90 एकड़ प्रमुख भूमि बर्बाद हो गई है। इस जगह का उपयोग साउथ
ब्लॉक के पीछे प्रधानमंत्री के लिए नया आवास और ऑफिस बनाने के लिए किया
जाएगा। दोनों को इस तरीके से बनाया जाएगा कि प्रधानमंत्री आवास से ऑफिस
पैदल भी जा सकें। इसके अलावा उपराष्ट्रपति के आवास को भी बदला जाएगा।
उपराष्ट्रपति का नया पता नार्थ ब्लॉक के उत्तर में प्रधानमंत्री के घर के
ठीक सामने होगा।
- नॉर्थ और साउथ ब्लॉक की नई पहचान होगी म्यूजिम
अभी राष्ट्रपति भवन से लगे नार्थ और साउथ ब्लॉक में
केंद्र सरकार के अहम मंत्रालय वित्त, रक्षा और गृह के साथ-साथ प्रधानमंत्री
कार्यालय शामिल है, लेकिन नए प्रस्तावित संरचना के तहत दोनों ब्लॉक को
मिलाकर इसे केंद्रीय म्यूजियम बना दिया जाएगा। इन विभागों के मंत्रियों का
कार्यालय भी कॉमन सचिवालय में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
- सभी भवनों की ऊंचाई इंडिया गेट से कम होगी
राष्ट्रपति भवन के पास अभी सेंट्रल विस्टा में 51 में
से सिर्फ 22 मंत्री ही बैठते हैं। आने वाले समय में सभी एक साथ बैठेंगे।
इसमें कुल 10 बिल्डिंग बनाई जाएंगी, जहां लगभग 70 हजार केंद्रीय कर्माचारी
काम करेंगे। प्रस्तावित भवनों में से किसी की भी ऊंचाई इंडिया गेट से अधिक
नहीं होगी। सभी भवनों को अंडरग्राउंड रास्तों से आपस में जोड़ा जाएगा। सभी
भवन केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन से सीधे जुड़े होंगे। सेंट्रल
विस्टा पश्चिम में राष्ट्रपति भवन से लेकर मदर टेरेसा क्रेसेंट तक फैला
होगा। यह इंडिया गेट से लेकर यमुना के पूर्व के किनारे में फैला होगा। नए
प्रस्तावित संरचना के तहत लुटियंस का लैंडमार्क पूरी तरह से बदल जाएगा।
सेंट्रल विस्टा में यमुना नदी के किनारे ‘न्यू इंडिया’ गार्डन भी बनाए
जाएंगे। इसमें देश की आजादी के 75 वर्षों के उपलक्ष्य को संरचनाओं में
स्थापित किया जाएगा। नया प्रस्तावित संसद भवन उसी परिसर में बनेगा, जहां
अभी संसद भवन है। पहले पुराने संसद भवन को संग्रहालय में परिवर्तित करने की
योजना थी। अब इसके कुछ हिस्सों का इस्तेमाल करने की बात कही जा रही है।
- पश्चिम में पार्क और सेंट्रल एवेन्यू
प्रस्तुति : राजेश्वरी मौर्य, नई दिल्ली।
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