Posts

Showing posts from December 17, 2021

Bihar Motihari eastern Champarn News

Image
कामगारों के लिए दो लाख का बीमा   मोतिहारी,पू. चम्पारण (बिहार): श्रम संसाधन विभाग के आदेश के  आलोक में श्रम अधीक्षक  राकेश रंजन के निर्देश  पर श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी जुली कुमारी द्वारा जॉब रिसोर्स पर्सन की मोतिहारी सदर में आयोजित बैठक में  सम्मिलित होकर कार्ड  से जुड़ी सभी जानकारी  को बताया गया। सभी  प्रखंडों के  जॉब  रिसोर्स पर्सन आदि मौजूद थे।ज्ञातव्य हो कि पोर्टल पर असंगठित   कामगारों और श्रमिकों के निबंधन की राष्ट्रव्यापी योजना भारत सरकार की है। श्रम संसाधन विभाग  द्वारा सभी कामगारों का निबंधन पोर्टल पर करने के लिए   सेंटर और   को निर्देश दिया गया है।इस कार्ड के  द्वारा सभी कामगारों, वो देश भर में कही काम करें ,को 2 लाख का बीमा और काम करने के दौरान निःशक्त  होने पर 1 लाख का मुआवजा मिलेगा।  महामारी के दौरान  सरकारी सहायता राशि इसी कार्ड द्वारा लाभुकों के खाते में प्राप्त की जा सकेगी।  सुश्री कुमारी द्वारा बताया गया कि, सभी निबंधित कामगारों जिनका लेबर कार्ड बना हुआ है, उन...

Bihar Motihari eastern Champarn News

Image
मनुष्य मूलत: शुभ है : अनिल धर महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय,बिहार में विशिष्ट व्याख्यान  'अहिंसा एवं शांति के वैचारिक पहलुओं का विकास' विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन मोतिहारी, पू चम्पारण (बिहार): गाँधी एवं शांति अध्ययन विभाग, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के तत्वावधान में 'अहिंसा एवं शांति के वैचारिक पहलुओं का विकास' विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय प्रति-कुलपति प्रो.जी.गोपाल रेड्डी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो.अनिल धर(अध्यक्ष, अहिंसा एवं शांति विभाग, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूँ, राजस्थान) ने कार्यक्रम को संबोधित किया। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो. जी. गोपाल रेड्डी (माननीय प्रति-कुलपति,महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने कहा कि वर्तमान समय में सुरक्षा एक बड़ा प्रश्न है। 'अहिंसा' ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।  सभी का स्वागत करते हुए डॉ. नरेंद्र आर्या (सह-आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग,महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बि...

Yahiya Khan got rid of tikka

Image
 याह्या—टिक्का से मुक्ति मिली थी !! के. विक्रम राव        चन्द अनकही, तनिक बिसरी बातें इस्लामी (पश्चिमी) पाकिस्तान की शिकस्त के बाबत। उसकी स्वर्णिम जयंती है आज (16 दिसम्बर 2021)। सदियों तक यहां हिन्दुकुश पर्वतमाला पार कर मध्येशायी बटमार इस सोने की चिड़िया को लूटते रहे। इसी जगह (इस्लामाबाद) अपने महल में विराजे, पराजय के तुरंत बाद, नशे में धुत मार्शल आगा मोहम्मद याह्या खान अपने लड़खड़ाये अलफाजों में रेडियो पाकिस्तान पर उस जुम्मेरात को कह रहे थे : ''जंग अभी भी हिन्दू भारत से जारी है।'' तभी उधर दो हजार किलोमीटर दूर ढाका में रेसकोर्स मैदान पर जनरल एएके नियाजी आत्म समर्पण कर अपना बेल्ट और बिल्ले उतार रहे थे। पराजय पर यह फौजी रीति है। युवा कप्तान निर्भय शर्मा ने कुछ ही देर पूर्व नियाजी को सरेंडर करने का निर्देश पत्र दिया था। खेल खत्म। इस्लाम पर बना पूर्वी पाकिस्तान तब बांग्लादेश बना।        उधर नवनामित प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो ने याह्या खान को बर्खास्त कर नजरबंद कर लिया था। यही भुट्टो पिछली पराजय के समय (सितंबर 1965) मार्शल अयूब के विदेश मं...

The first martyr of language struggle Gandhian Sriramulu

Image
 भाषा संघर्ष का पहला शहीद के. विक्रम राव        आज 69 वर्ष गुजरे, आजाद भारत के सर्वप्रथम भाषावार राज्य (आंध्र प्रदेश) की घोषणा के। प्रत्येक भाषाप्रेमी के लिये यह संदर्भ लेख प्रस्तुत है। आजाद भारत राष्ट्र को भाषावार राज्यों में पुनर्गठित करने की मांग पर ठीक आज के दिन (15 दिसम्बर 1952) स्वाधीनता सेनानी, तेलुगुभाषी, प्रखर गांधीवादी पोट्टि श्रीरामुलु 69 दिनों बाद भूख हड़ताल के कारण शहीद हो गये थे। बहुभाषीय मद्रास प्रेसिडेंसी को विभाजित कर आंध्र प्रदेश की स्थापना हेतु उनका यह अनशन था। जब प्रथम भाषावार राज्य आंध्र बना था, तो लोगों ने महसूस किया था कि स्वाधीन भारत अब जनभाषा की उपेक्षा असहाय और अक्षम्य है। मांग की गयी कि बर्तानवी साम्राज्यवाद द्वारा प्रशासकीय सुलभता के लिए बनाये गये प्रदेशों का भौगोलिक पुनर्गठन लोक भाषा के आधार पर हो। आंध्र राज्य के बनने के तुरंत बाद ही (अंग्रेजी साम्राज्यवादी सुविधा के सिद्धांत पर बने भारत राष्ट्र का) कन्नड, मलयालयम, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं के आधार पर सीमांकन हुआ। सिलसिला थमा जब हिन्दीभाषी हरियाणा (1 नवम्बर 1966) को निर्मित हुआ था। ...

If Atal Bihari Vajpayee would have shown enthusiasm

Image
 अगर अटलजी स्फूर्ति दिखाते तो ! के. विक्रम राव               जरा याद कर लें (बकौल कवि प्रदीप की पंक्ति : ''आंख में आंसू भर लो'' वाली नहीं।), बल्कि भरपूर अवसाद और ग्लानि से भरी, घटना जो दो दशक पूर्व (13 दिसम्बर 2001) हुयी थी, जब पाकिस्तानी सियासी डकैतों ने भारत की संसद भवन पर हमला किया था। स्थल ठीक वहीं था, जहां नरेन्द्र मोदी ने सांसद चुने जाने के बाद में माथा नवाया था। इस गोलीबारी के साक्षी थे वाकपटु 77—वर्षीय अटल बिहारी वाजपेयी। मोटी दीवारों के पीछे से।         मेरे मानस पटल पर उस बेला की स्मृति आज तक बहुत साफ है। मैं तभी संसद भवन के सामने रेल भवन में गया था। हमारे (आईएफडब्ल्यूजे के) राष्ट्रीय अधिवेशन में करीब 450 प्रतिनिधि की यात्रा के लिए अतिरिक्त कोच लगवाने हेतु। नीतीश कुमार (आज बिहार के मुख्यमंत्री) तब रेल मंत्री और जॉर्ज फर्नांडिस की समता पार्टी के नेता से भेंट हुयी। वे चकित थे। पूछा : ''इतनी कठोर सुरक्षा के बीच आप को प्रवेश कैसे मिला ?'' मेरा प्रत्युत्तर संक्षिप्त था। ''सूर्य किरण और रिपोर्टर से ऐसा प्रश्न पूछा नहीं...