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Yogi : योगी भारी भोगी पर

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 योगी भारी भोगी पर! के. विक्रम राव यो गी आदित्यनाथजी ने उत्तर प्रदेश में अधुना दहशत और भय का माहौल सर्जाया है। ठिठुर रहे है कई लोग। मगर इसमें एक बड़ा अंतर है। मुख्यमंत्री की कर्मण्यता के कारण सिहरन उन लोगों में नहीं हो रही है जो सम्यक आचार करते हैं, नियम का पालन करते है। अहंकारभरे मनमानेपन से बाज आते हैं। छड़ी वहीं तक घुमाते है जहां दूसरे नागरिक की नाक की नोक आ जाती है। लाठी लिये भैंस हांकने वाले अब विलुप्त हो रहे है। पुरानी उक्ति को योगीजीने झुठला दिया है कि ''समरथ को नहीं दोष गोसांई।''        वस्तुत: कानून का भय और अनुशासन के राज की क्रमश: वापसी हो रही है। तनिक याद कर लें अमेरिका को सर्वाधिक जनप्रिय बत्तीसवें राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रुजवेल्ट (1933—1945) को। उन्होंने चार मौलिक स्वतंत्रता का प्रतिपादन किया था। अभिव्यक्ति और उपासना का हक तथा अभाव और भय से मुक्ति। मगर यूपी के माफियाओं ने उनके चौथे सिद्धांत (भय से उन्मुक्त) को ही अपना मौलिक अधिकार मान लिया, (freedom from fear)। योगीजी ने इस विशेषाधिकार के विकृत होने पर अब दुरुस्त कर दिया। माफियाओं की मांद रहे उत्तर प्रदेश में