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Showing posts from August 23, 2020

Ganesh Working Journalist : एक श्रमजीवी पत्रकार

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 गणेश : एक श्रमजीवी पत्रकार के.विक्रम राव अगर इतिहासकार अलबरूनी की बात स्वीकारें तो श्रेष्ठतम सम्पादक हैं गणेश। इसे वेदव्यास ने भी प्रमाणित किया था। वर्तनी, लेखनी, प्रवाह और त्रुटिहीनता की कसौटी पर गणेश खरे उतरते है। इस पूरी गणेशकथा में हम श्रमजीवी पत्रकारों के लिये रूचिकर वाकया यह है कि गणेश सर्वप्रथम लेखक और उपसम्पादक हैं। यूं तो देवर्षि नारद को प्रथम घुमन्तू संवाददाता और संजय को सर्वप्रथम टीवी एंकर कहा जा सकता है, मगर गणेश का रिपोर्ताज में योगदान अनूठा है। मध्येशियाई इतिहासकार, गणितज्ञ, चिन्तक और लेखक अल बरूनी ने एक हजार वर्ष पूर्व लिखा था कि वेद व्यास ने ब्रह्मा से आग्रह किया था कि किसी को तलाशे जो उनसे महाभारत का इमला ले सके। ब्रह्मा ने हाथीमुखवाले गणेश को नियुक्त किया। वेदव्यास की शर्त यह थी कि गणेश लिखते वक्त रुकेंगे नहीं और वही लिखेंगेगे जो वे समझ पायेंगे। इससे गणेश सोचते हुए, समझते हुये लिखते रहे और व्यास भी बीच-बीच में विश्राम करते रहे। (एडवार्ड सी.सचान, अलबरूनीज इंडिया, मुद्रक एस. चान्द, दिल्ली, 1964, भाग एक, पृष्ट 134)। अब एक आधुनिक पहलू पर गौर करें। एडोल्फ हिटलर ने अपनी

Ek Awaaz for justice : फ्लैट होल्डर्स के साथ धोखाधड़ी, आरोपियों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं ?

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फ्लैट होल्डर्स के साथ धोखाधड़ी, आरोपियों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं ?  क्या सुप्रीम कोर्ट लेगा इसका स्वत संज्ञान ?  डॉ. पुष्पलता  अगर कोई  भारत के किसी व्यक्ति को ये कहता है तू भ्रष्ट है, घटिया है तो भारत कतई घटिया या भ्रष्ट नहीं होता ! ठीक इसी तरह जब किसी  जज या वकील को भ्रष्ट कहा जाता है,  तो अदालत भ्रष्ट नहीं हो जाती और न ही अदालत की अवमानना मानी जा सकती है। फिर कुछ जज ऐसे कृत्य कर क्यों रहे हैं कि उनपर उँगली उठ रही हैं,  सम्मान नहीं हो रहा है ? वे अपना सम्मान बरकरार क्यों नहीं रख पा रहे ? अदालत कभी  भ्रष्ट  नहीं हो सकती और कोई भी व्यक्ति जीवन भर ईमानदार होने के बावजूद कभी बेईमान हो सकता है!    अब कोई कहे गोगोई का सम्मान करें क्या वो सम्मान करने लायक  बचे हैं ? खुद की गरिमा जज  खुद गिरा रहे हैं फिर कहा जा रहा है कि माफी मांगो, मानहानि हो गई। ये भी ध्यान रहे उंगली उठाने वाले उसी वर्ग से हैं।लोग त्राहिमाम कर रहे हैं उनकी। जान, धन, सम्मान, स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय की  हानि हो रही है। पर्यावरण की हानि हो रही है,लोग बाढ़ और नालों में डूबे पड़े हैं। सब निजीकरण और निजी  हो रहा है, सब गलत