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UP: मुकदमा- वापसी दायित्व है

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मुकदमा—वापसी दायित्व है ! के. विक्रम राव*     *यूपी* विधानसभा में कल (2 मार्च 2021) समाजवादी विपक्ष ने जानकारी मांगी थी कि भाजपा सरकार ने कितने मुकदमें वापस लिये? विधि मंत्री ने चलताउ उत्तर दिया कि संख्या 670 है, मगर लाभार्थियों के नाम नहीं बताये। अब बजाये टालमटोल के, विधि मंत्री पटुता दर्शाते। पिछली तीनों सरकारों की सूची पटल पर रख देते। अधिक सूचना देने पर सदन में कोई रोक नहीं होती। सभी दलों की करनी उजागर हो जाती।        *कल* रात ही जी—टीवी पर एक मुबाहिसा में मैंने अभिमत व्यक्त किया था कि हर निर्वाचित सरकार को सार्वभौम अधिकार है कि वह राजनीतिक मुकदमों को निरस्त कराये। यह कमनसीबी है कि सत्ता पर सवार होते ही हर पार्टी की वाणी बदल जाती है। आचरण में बौद्धिक ईमानदारी तथा व्यवहारिक प्रौढ़ता नहीं दिखती। मसलन केरल के प्रथम कम्युनिस्ट सरकार का 1958 वाला निर्णय देख लें। तब ईएमएस नंबूदिरपाद के नेतृत्व में विश्व में वोट द्वारा (न कि बन्दूक की नली से) गठित प्रथम जनवादी सरकार बनी थी। राजभवन में शपथ लेकर काबीना ने पहला फैसला किया था कि कम्युनिस्ट किसान नेता की दूसरे दिन होने वाली फांसी रोक दी जाये। क