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Showing posts from January 9, 2022

PEC demands actions against online abusers of women scribes

 PEC demands actions against online abusers of women scribes Geneva: Expressing shock over the repeated incident of targeting women, including many Indian scribes in social media, the global media safety and rights body Press Emblem Campaign (PEC) demands proper actions against the individuals behind the ‘Bulli Bai’ online application. It may be mentioned that over a hundred women, largely Muslim personalities, were listed with doctored photographs in the app as readied for online auction (to sell as maids) in the first week of January 2022. Those included in the list belong to various professions including journalism. Lately the app is being closed down. This is not the first time that a group of women is put on public auction. A similar humiliating app ‘Sulli Deals’ was made public in July 2021 targeting nearly 80 minority community women. Though there was no actual auction, the initiative was enough to abuse the women, who remained otherwise vocal against various injustices. Mea...

Nearly 2000 Journalists died with COVID 19 in 94 countries

 Nearly 2000 journalists died with Covid-19 in 94 countries Geneva:  (PEC) Nearly 2000 journalists died of Covid-19 in 94 countries since March 2020. Last year, in 2021, at least 1400 media workers succumbed to the virus, that is to say 116 par month or some 4 per day on average, announced Friday in Geneva the Press Emblem Campaign (PEC). No continent is spared by the pandemic. Of the 1940 journalists dead registered by the PEC since March 1, 2020, Latin America leads with half of the victims, or 955 deaths. Asia follows with 556 dead, ahead of Europe 263, then Africa 98 and North America 68. More than 50 casualties are still under investigation. The actual number of victims is certainly higher, as the cause of journalists' deaths is sometimes not specified or their deaths not announced. In some countries, there is no reliable information. The 2000 figure is a low estimate. According to PEC India representative Nava Thakuria, the vast south-Asian country might have lost over 4...

Yogiji on Durdarshan

 दूरदर्शन पर योगीजी ! के. विक्रम राव           दूरदर्शन (7 व 8 जनवरी 2022) द्वारा आयोजित लखनऊ ''डीडी कॉन्क्लेव'' से अपेक्षा थी कि ताज होटल सभागार से निकल कर श्रोताओं और दर्शकों को राज्य में हो रहे परिवर्तन के बारे में ज्ञान तथा सूचना पर्याप्त मिलेगी। चर्चा व्यापक और प्रवाहमय होगी। यह संभव था। पर सोच के खांचे से बाहर आना पड़ता। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मांगने पर नहीं मिलती, हासिल करना पड़ता है। इसीलिये निजी चैनल से प्रतिस्पर्धा में सरकारी तंत्र पिछड़ जाता रहा है। ऊपर से एक निजी व्यापारी मीडिया घराने को सह—आयोजक बनाकर दूरदर्शन ने अपनी विश्वसनियता पर दाग लगा लिया।            मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्यवक्ता थे। कार्यक्रम का शीर्षक था : ''कितना बदला यूपी?'' मगर संवाद सुनकर लगा कि यह सियासी तौर पर प्रगतिशील प्रदेश अभी भी कच्छप रफ्तार पर ही है। एक तरफ अपनी बात पेश करने में योगीजी को अपरिमित लाभ हुआ। बहस में शिरकत न कर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बड़ा घाटा हुआ। मौका चूक गये। हालांकि पार्टी प्रवक्ता दीपक मिश्र ने फायर बिग्रेड ...

die on This simplicity

 इस सादगी पर कौन न मर मिट? के. विक्रम राव           वीआईपी सुरक्षा पर होती रही फिजूलखर्ची से बहुधा असीम जनाक्रोश उपजता है। आम जन को क्लेश होता है, सो अलग। वीआईपी मोटर काफिले से सड़क पर आवागमन तो बाधित होता ही है। कभी—कभी प्रतीक्षारत राहगीर की मौत भी। ऐसी ही यातना बेचारे लखनऊवासी भुगतते थे, जब प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी अपने लोकसभाई क्षेत्र के दौरे पर लखनऊ आते थे।           इसी संदर्भ में कश्मीर प्रशासन द्वारा कल (6 जनवरी 2022) से चार (पूर्व) खर्चीले मुख्यमंत्रियों की विशिष्ट सुरक्षा सेवा निरस्त करने से घाटी के नागरिकों को सुगमता हो गयी। इन वंचित महानुभावों में हैं : डा. फारुख अब्दुल्ला, उनके पुत्ररत्न ओमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और गुलाम नबी आजाद। इनकी रक्षा में एक पुलिस उपाधीक्षक मात्र अब तैनात रहेगा।           यहां एक मूलभूत जनवादी पहलू का उल्लेख हो। गणराज्य में आम वोटरों द्वारा निर्वाचित जननायकजन विशेष सुरक्षा हेतु, ढोंग और आडंबर से क्यों आप्लवित रहते हैं? लिप्त रहते हैं? प्रजापालक को जनता से खतरा क...