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Showing posts from November 23, 2019
हंसी का फव्वारा : कोर्ट में पति-पत्नी की बहस (वीडियो)
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मुंबई : शौकत आजमी नहीं रहीं
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मशहूर शायर कैफी आजमी की पत्नी और मशहूर फिम अदाकारा शबाना आजमी की मां शौकत कैफी आज़मी नहीं रहीं यह खबर सुन पूरा एक दौर नज़र के सामने दौड़ गया। गर्म हवा और उमराव जान जैसी मशहूर फिल्मों की अदाकारा शौकत आज़मी एक पीढ़ी का चेहरा थीं । थियेटर जिनकी धड़कन था,जिन्होंने इप्टा और प्रोग्रेसिव राइटर एसोशिएशन की खूबसूरती बुनी थी । जिनकी थाप से शबाना आज़मी और बाबा आज़मी जैसे टैलेंटेड हीरे निखरे । जिन्होंने कैफ़ी के साथ मुश्किल से मुश्किल वक़्त काटकर बेहतरीन सूरज निकाला । जो सचमे कैफ़ी की नज़्म,"उठ मेरी जान,साथ चलना है तुझे" को जीकर दिखा दिया । छोड़ गईं यह दुनिया और साथ ही छोड़ गईं यादों की रहगुज़र । शौक़त आज़मी जिन्होंने साथ कैफ़ी का चुना और अपनी ज़िंदगी अपने हाथ से लिखी । उसके हर उतार चढ़ाव की मालकिन । अपने बच्चों के दिलों में काम के लिए जूझना और जूझकर भी संवेदनाओं को ज़िंदा रखना,दोनो का अद्भुत काढ़ा पिलाया । एक तरफ कैफ़ी का पहाड़ जैसा वजूद तो दूसरी तरफ अपनी समन्दर जैसी आकृति उकेरने वाली एक अनूठी शख्सियत शौकत आज़मी से सीखना होगा,हर उसे,जिसे लगता है कि कपड़ों के कुछ टुकड़ों से शामियाने भी बनाए जा सकते हैं ।...
महात्मा गांधी : मुसलमानों को भी संस्कृत पढ़नी चाहिए
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"मुसलमानों के संस्कृत पढ़ने पर महात्मा गांधी क्या सोचते थे ?" 7 सितंबर, 1927 को जब गांधीजी मद्रास के पचैयप्पा कॉलेज में बोलने गए तो GBवहाँ एक दिलचस्प घटना घटी। अपने भाषण में जैसे ही गांधीजी ने कहा— “मैं चाहूंगा कि यहाँ मुसलमान विद्यार्थी भी [संस्कृत] पढ़ने आ सकें।” तभी श्रोताओं में से एक आवाज़ आई— “पंचमों को इसमें दाखिला नहीं दिया जाता।” इस पर गांधीजी ने कहा — “यह तो मुझे नई बात का पता लगा। पंचमों और मुसलमानों, दोनों के लिए इस संस्था के द्वार खोल देने चाहिए। यदि यहाँ पंचमों को दाखिला नहीं दिया जाएगा तो मैं इसे हिन्दू संस्था मानने से इन्कार करता हूँ।” श्रोताओं में से फिर आवाज़ आई— “सुंदर! बहुत खूब!” गांधीजी ने आगे कहा— “हिन्दू संस्था होने का यह मतलब तो नहीं होता कि कोई पंचम या मुसलमान यहाँ पढ़ न सके। मैं समझता हूँ कि अब समय आ गया है कि ट्रस्टी लोग इसकी नियमावली में रद्दोबदल करें।” 20 मार्च, 1927 को हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् के अपने अध्यक्षीय भाषण में गांधीजी ने कहा— “संस्कृत का अध्ययन करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। ह...