इंदिरा गांधी : न डरी, न थमी
"तीन अक्टूबर 1977 को जनता पार्टी का शासनकाल" इ न्दिराजी के निवास स्थान 12 विलिंगटन क्रिसेंट को सैकड़ों पुलिस वालों ने घेर लिया था। इंदिरा जी को गिरफ्तार करने कुछ अफसर भीतर पहुंचे।इन्दिराजी अपने कमरे में चली गईं और जेल जाने के लिए सामान ठीक करने लगीं। कुछ देर बाद उनके वकील फ्रेंक एंथोनी (सांसद) पहुंचे और उन्होंने कहा, 'गिरफ्तारी का वारंट दिखाइए' तो अफसर एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। उनके पास वारंट था ही नहीं। फ्रैंक एंथोनी ने फिर से वारंट की मांग की और बुलंद आवाज में कहा,"बगैर वारंट के आप इन्हें कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं?" घंटे भर बहस चलती रही। बाहर लोगों की भीड़ बढ़ती रही। लोग क्षुब्ध थे। आखिर जब इन्दिराजी कार में बैठ गईं तो कुछ क्षुब्ध युवक चिल्लाए, मोरारजी देसाई मुर्दाबाद, चरणसिंह मुर्दाबाद। इंदिरा जी झट कार से उतरीं और उन्हें तुरंत रोकते हुए बोलीं "हमें किसी के लिए भी मुर्दाबाद नहीं कहना है।" गांधीजी ने हमें क्या सिखाया है, याद करो।युवक चुप हो गए" फिर इंदिरा गांधी जिंदाबाद के नारों से आसम...