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Showing posts from March 10, 2021

Nari Shakti: एक सच, जिससे पुरुष अनजान

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एक सच, जिससे पुरुष अनजान डॉ. पुष्प लता  एक सच जो पुरुष नहीं जानता जब स्त्री बच्चे को जन्म देती है तो उसकी देह लगभग निर्जीव हो जाती है वह बैठने की हालत में नॉर्मल में भी नहीं होती ऑपरेशन में तो और भी मुश्किल  उसी वक्त उसके ऊपर एक शिशु की जिम्मेदारी उसे उसे बैठकर ही दूध पिलाना होता है  वरना उसके कान में जा सकता है।वह भी हर वक्त क्योंकि शिशु एक घण्टे में दूध पीता है एक आधा घण्टा डकार दिलाने में वरना उसकी सांस की नली में दूध जा सकता है। उसकी बड़ी सुई के छेद जितनी नाक दबकर  दम घुट सकता है क्योंकि मुँह से सांस वह दूध पीते  हुए नहीं ले सकता । प्रकृति ने माँ का दूध ऐसा बनाया वह हर वक्त भी पिये नुकसान नहीं करता।आदमी का बच्चा सबसे कमजोर होता है ।वह दो घूँट पिए सो गया ऐसे चलता है।वह लेटने को होती है वह दोबारा चीखने लगता है।अधिकतर शिशु असुरक्षित महसूस करते हैं मुँह में दूध लेकर  ही सोते  हैं बिस्तर पर लेटाते  ही चीखने लगते हैं । वह माँ से दूध से जुड़कर सुरक्षित महसूस करते हैं मर्जी में आया पिया मर्जी में आया सो गया ।मुँह में लॉक  लगा लेता  है जिससे अलग करने की कोशिश करते ही जग जाता है ,रोने लगता है।

Women's day: आठ हस्तियों को मिला महिला शक्ति सम्मान-2021

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 महिला शक्ति सम्मान-2021 गाजियाबाद  उत्तरपदेश की प्रसिद्ध संस्था  "प्रणवाक्षर  साहित्यिक, समाजिक, सांस्कृतिक संघ "ने महिला दिवस पर आठ विशेष  स्त्री शक्तियों को सम्मानित किया । संस्था की  लगभग तीस वर्ष पुरानी सक्रिय    विंग "संयुक्त ग्रामीण विकास समिति" गांवों में सामाजिक सेवा के कार्यक्रम करती रहती  है। कोरोना में भी , समय- समय पर गरीबों  को भोजन ,मास्क, साबुन ,सेनेटाइजर ,कैप ,राशन आदि  वितरित करवाया , आज तक कभी कोई सरकारी लाभ सहयोग  नहीं लिया यह सब वह स्वयं ही ऑर्गनाइज करती है । क्योंकि कोरोना में  दर्शक आने में कतराते  हैं इसलिए  महिला दिवस को आठ विशेष  स्त्री शक्तियों  को ऑनलाइन  सम्मानित  किया है  ।साहित्यकार  डॉ वर्षा चौबे  ,डॉ प्रीति खरे  भोपाल से वरिष्ठ साहित्यकार हैं ।उन्हें अनेक सरकारी गैर सरकारी सम्मानों से सम्मानित किया गया है ।शैल अग्रवाल इंग्लैंड से वरिष्ठ साहित्यकार हैं ,सुषमा गजापुरे ,    "साहित्य सुषमा" और "बचपन "की संपादक हैं  नवभारत की कॉलमिस्ट  श्रेष्ठ रचनाकार हैं। नारी के अधिकारों के लिए अनवरत  लिखती रही हैं।  स्मिता सिंह  वरि