महाराष्ट्र में वंचितों के रहबर थे मुंडे
भाजपा नेता गोपीनाथ
मुंडे से मेरी कभी व्यक्तिगत रूप से बैठकर बात तो नहीं हुई, लेकिन उनके एक प्रशंसक
ने कई बार उनके बारे में मुझे बताया तो मेरे मन में उनकी एक अच्छी छवि बनी और लगा
कि वह महाराष्ट्र में गरीबों के रहबर की तरह काम कर रहे थे। उनकी प्राथमिकता में
भले ही भाजपा का राजनीतिक एजेंडा था, लेकिन उनकी व्यक्तिगत इच्छा अपने गरीब समाज के
लिए भी काफी कुछ करने की थी। मैं अगले दिनों में उनसे मिलने की सोच रहा
था, लेकिन शायद ईश्वर को यह मंजूर नहीं था।
पिछले सप्ताह ही
उन्होंने मोदी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री का दायित्व संभाला और शायद
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की शुरुआत करने के लिए ही अपने निर्वाचन क्षेत्र बीड
में बड़ी जनसभा के माध्यम से अपनी विजय का उत्सव मनाने जा रहे थे, लेकिन काल को कुछ
और ही मंजूर था, जिसका नतीजा वे हमसे दूर अंतिम यात्रा पर चले गए।
वह बंजारा समुदाय
से थे, जो महाराष्ट्र में पिछड़े वर्ग में तो कई प्रदेशों में अनुसूचित जाति और
जनजाति में भी शामिल हैं। तब ही तो वह पिछड़े वर्ग के साथ ही जनजातीय समाज,
अनुसूचित जातियों और किसानों के लिए काम करके उनमें समान रूप से लोकप्रिय थे।
मुंडे के परिवार पर यह बड़े संकट का समय है। मौत ही सबसे बड़ा सच है, जिसको स्वीकार करना ही हम मानव के पास अंतिम विकल्प है। दुख की इस घड़ी में, मैं मुंडे परिवार के साथ हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि श्री मुंडे की आत्मा को शांति और परिवार को इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
मुंडे के परिवार पर यह बड़े संकट का समय है। मौत ही सबसे बड़ा सच है, जिसको स्वीकार करना ही हम मानव के पास अंतिम विकल्प है। दुख की इस घड़ी में, मैं मुंडे परिवार के साथ हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि श्री मुंडे की आत्मा को शांति और परिवार को इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
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