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Showing posts from March, 2019
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लालकृष्ण आडवाणी जी, मुरली मनोहर जोशी ही नहीं आदर्श और सिद्धांतों की मिसाल करिया मुंडा को भी टिकट नहीं मिला है, इसे क्या कहेंगे दोस्तों ! #Election2019
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आप क्या सोचते हैं मित्रों ! #Election2019

भाजपा का बड़ा घोटाला

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मैं तो रवीश जी की बात से पूरी तरह सहमत हूं और संविधानिक संस्थाओं से खुली और निष्पक्ष जांच की मांग करता हूं  और आप ?         ...........................    भाजपा के देश भर में बने 600 से ज्यादा भव्य आफिसों पर मीडिया मौन क्यों है : रवीश कुमार Posted on  March 30, 2019  by  रवीश कुमार भारतीय जनता पार्टी की खासियत है कि वह कांग्रेस को तो भ्रष्ट बताती है पर अपनी ईमानदारी नहीं बताती। ऐसा कोई दावा नहीं करती। 2014 और इससे पहले कुछ किया भी हो, अब करने लायक भी नहीं है। दूसरी ओर, नोटबंदी के समय खबर छपी थी कि अलग-अलग शहरों में पार्टी ने जमीन खरीदी है – ज्यादातर मामलों में नकद देकर। उस खबर का कोई फॉलोअप नहीं हुआ और पार्टी ने कोई सफाई भी नहीं दी। गोदी मीडिया में चूंकि भाजपा के विरोधियों के भ्रष्ट होने के आरोप ही छपते हैं इसलिए भाजपा से ना कोई सवाल करता है, ना भाजपा मौका देती है और ना ही पूछे जाने पर जवाब देती है। आरटीआई कानून लाने वाली पार्टी को भाजपा ने भ्रष्ट घोषित कर रखा है और मीडिया की दुम मरोड़े बैठी पार्टी ने खुद की छवि ईमान...
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 भाजपा अपने चुनावी अभियान में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर आचार संहिता की खुली धज्जियां उड़ा रही है और चुनाव आयोग मूक दर्शक बना है। #Election2019
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प्रधान चौकीदार को घमंड है कि वह दुनिया घूम चुका, बेचारा चौकीदार दो वक्त की रोटी के फिक्र में सूखा जा रहा है। #Election2019
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बढ़ती बेरोजगारी में कांग्रेस की "न्याय" योजना बड़ी राहत दे सकती है।
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मैं ऐसा चौकीदार कतई नहीं बनना चाहता हूं। #Election2019

JOURNALISM : गुलामी की ओर पत्रकारिता

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------------------------------ मुबाहिसा : आर.के. मौर्य ------------------------------ मीडिया घरानों की करोड़ों-करोड़ों की डील हो चुकी है। निष्पक्षता बिक चुकी है। पत्रकारिता गुलाम हो चुकी है। देख, सुन, पढ़कर यकीन मत करना। खुद तोल-मोलकर ही सच तय करना। इस व्यावसायिक युग में लोकतंत्र को भी बाजारीकरण का घुन लग गया है। "जो दिखता है, वो बिकता है" की मार्केटिंग रणनीति पर लोकतंत्र को पूंजीपतियों द्वारा कब्जा कर देश की सत्ता को हथियाने का काम किया जा रहा है। अब नहीं समझे तो फिर "ईस्ट इंडिया कंपनी" की तरह ही देश की सत्ता कुछ पूंजीपतियों के कब्जे में जाने से कोई नहीं रोक पाएगा। कंपनियों का काम जनसेवा नहीं मुनाफा कमाने के लिए जनता का खुला शोषण करना होता है। इसका प्रभाव देश में दिखने लगा है। जागो मतदाता जागो! जात-पात को मिटाओ, नफरत को ठिकाने लगाओ। लोकतंत्र को जिताओ, पूंजीपतियों को हराओ। मतदान जरूर करें! #Election2019 साभार: आर. के.मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार
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आप क्या सोचते हैं ?

पत्रकार प्रशांत की शादी

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कानपुर : दूल्हा बने पत्रकार प्रशांत के साथ।