JOURNALISM : गुलामी की ओर पत्रकारिता
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मुबाहिसा : आर.के. मौर्य
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मुबाहिसा : आर.के. मौर्य
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मीडिया घरानों की करोड़ों-करोड़ों की डील हो चुकी है। निष्पक्षता बिक चुकी है। पत्रकारिता गुलाम हो चुकी है। देख, सुन, पढ़कर यकीन मत करना। खुद तोल-मोलकर ही सच तय करना। इस व्यावसायिक युग में लोकतंत्र को भी बाजारीकरण का घुन लग गया है। "जो दिखता है, वो बिकता है" की मार्केटिंग रणनीति पर लोकतंत्र को पूंजीपतियों द्वारा कब्जा कर देश की सत्ता को हथियाने का काम किया जा रहा है। अब नहीं समझे तो फिर "ईस्ट इंडिया कंपनी" की तरह ही देश की सत्ता कुछ पूंजीपतियों के कब्जे में जाने से कोई नहीं रोक पाएगा। कंपनियों का काम जनसेवा नहीं मुनाफा कमाने के लिए जनता का खुला शोषण करना होता है। इसका प्रभाव देश में दिखने लगा है। जागो मतदाता जागो! जात-पात को मिटाओ, नफरत को ठिकाने लगाओ। लोकतंत्र को जिताओ, पूंजीपतियों को हराओ। मतदान जरूर करें! #Election2019
- साभार:
- आर. के.मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार
This is true
ReplyDeleteNexus of govt & media is very dangerous.
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