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Showing posts from November, 2022

This is A Histry Mughal Empire last King Bahadur Shah Zafar बहादुर शाह जफर धूल में मिल गए लेकिन अंग्रेजों से नही मिले

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एक इतिहास यह भी  बहादुर शाह जफर : मुल्क के लिए धूल में मिल गए लेकिन अंग्रेजों से नहीं मिले जब मुगलों ने पूरे भारत को एक किया तो इस देश का नाम कोई इस्लामिक नहीं बल्कि 'हिन्दुस्तान' रखा.. हाँलाकि इस्लामिक नाम भी रख सकते थे, कौन विरोध करता?? जिनको इलाहाबाद और फैजाबाद चुभता है वह समझ लें कि मुगलों के ही दौर में 'रामपुर' बना रहा तो 'सीतापुर' भी बना रहा. अयोध्या तो बसी ही मुगलों के दौर में.  'राम चरित मानस' भी मुगलिया काल में ही लिखी गयी. आज के वातावरण में मुगलों को सोचता हूँ, मुस्लिम शासकों को सोचता हूँ तो लगता है कि उन्होंने मुर्खता की.  होशियार तो ग्वालियर का सिंधिया घराना, मैसूर का वाडियार घराना, जयपुर का राजशाही घराना, जोधपुर का राजघराना था. टीपू सुल्तान हों या बहादुरशाह ज़फर बेवकूफी कर गये और कोई चिथड़े-चिथड़ा हो गया तो किसी को देश की मिट्टी भी नसीब नहीं हुई और सबके वंशज आज भीख माँग रहे हैं. अँग्रेजों से मिल जाते तो वह भी अपने महल बचा लेते और अपनी रियासतें बचा लेते, वाडियार, जोधपुर, सिंधिया और जयपुर राजघराने की तरह उनके भी वंशज आज ऐश करते, उनके भी बच्चे

Rajeshwari Maurya shat what Naman राजेश्वरी मौर्य: शत शत नमन

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जिसके लिए  अरमां  सजाए बगिया में, अब वो  फूल  ही नहीं  रहा  इस दुनिया  में। किस कंधे  पर सिर रखकर  रोऊं, नहीं  दिखता कोई  जिसको  अपना दर्द  बताऊं। सब कुछ  है  फिर भी  हर ओर  वीराना  दिखता है। जहां में  हर रोज  देखे  खूब दुख, पर  अपने दुख  ने  पूरा जहां  बेगाना  बना दिया। -अकेला पक्षी

Bherm Sansad Special session 19 &20 nov in New Delhi दिल्ली में 19 और 20 नवंबर को होगा भीम संसद का विशेष सत्र

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 दिल्ली में 19 और 20 नवंबर को होगा भीम संसद का विशेष सत्र  भीम संसद के संयोजक देश के प्रमुख दलित नेता जयभगवान जाटव ने बताया कि भीम संसद का राष्ट्रीय स्तर का सत्र दिनांक 19 व 20 नवंबर 2022 (शनिवार और रविवार) को अंबेडकर भवन रानी झांसी रोड नई दिल्ली में होगा ।  जाटव का कहना है कि भीम संसद के गठन से अभिप्राय है कि कोई भी गैर-राजनीतिक संगठन या अन्य संस्था, सामाजिक कार्य कराने में असक्षम ही साबित हुए हैं । प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई 51वीं बैठक में फैसला लिया गया था कि SC/ST वर्गों को 10 साल के अंदर सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास  द्वारा सामान्य वर्गों के बराबर लाया जाएगा । परन्तु भारत सरकार या राज्य सरकार ने एक भी नई योजना द्वारा इस अंतर (GAP) को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है और दलित वर्गों को सीधा धोखा दिया है । बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर जी से किए गए वादे के बाद भी कई बार इस प्रकार के प्रस्ताव पास किए गए हैं। परन्तु हमारे किसी भी संगठन ने सरकार का ध्यान इन प्रस्तावों के पास होने के लिए नहीं खींचा है । मुख्य मुद्दा भीम संसद में यहीं रहेगा और सरकार पर नई योजनाओं के लाने एवं

Ganga kartik mela गंगा कार्तिक मेले में सड़कों पर किसानों की बोगियों का रैला, गंगा किनारे तंबुओं का डेरा

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 गंगा कार्तिक मेला : सड़कों पर किसानों की बोगियों का रैला, गंगा किनारे तंबुओं का डेरा अनिल मौर्य     उत्तर प्रदेश की पश्चिमी दिशा में बहने वाली श्रद्धा की गंगा में स्नान को पवित्र आस्था से जुड़ा माना जाता है। हर माह अमावस्या और पूर्णिमा को लोग स्नान को पवित्र और पुण्य मानते है। इनमें दीवाली के बाद कार्तिक की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। गंगा के उद्गम गंगोत्री से लेकर समुद्र में विलय तक के मार्ग में विभिन्न शहरों में गंगा में स्नान को अपनी आस्था के मुताबिक पुण्य माना जाता है। जगह  जगह मेले लगते हैं। यह हजारों सालों से समय के साथ तमाम बदलावों के साथ यूं ही जारी है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा के मेले पर गढ़मुक्तेश्वर और अन्य स्थानों पर कोरोना काल के बाद में बहुत उत्साह देखने को मिल रहा है। यही कारण हैं कि बिना किसी रोक-टोक के रोके नहीं रुक रहे भैंसा-बोगी से जाने वाले श्रद्धालु। जिसको लेकर प्रदेश सरकार की पाबंदी भी धरी रह गई। केन्द्रीय राज्य मंत्री डा.संजीव बालियान को भी इस पाबंदी का विरोध करना पड़ा। जिससे पाबंदी लगाने वाले प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री को भी बेबसी का सामना करना पड़ ग