चिराग पासवान को बधाई
इन दिनों विभिन्न टीवी चैनलों पर पहले घोषित दलित फिल्मी कलाकार चिराग पासवान की फिल्म मिले ना मिले हम का प्रोमो चल रहा है, यह सभी के लिए सम्मान की बात है और उन लोगों के लिए सबसे अधिक गर्व की बात है, जो समाज में समता की बात सोचते हैं। यूं तो मेरी जानकारी में बॉलीवूड में पहले से कई कलाकार दलित हैं, लेकिन वे अपनी पहचान छुपाते हैं। चिराग पासवान पहले ऐसे दलित कलाकार होंगे, जो काफी धूम धड़ाके से अभिनय शुरू कर रहे हैं। मेरी चिराग को हार्दिक बधाई। मेरी लोगों से अपील है कि सभी इस कलाकार को प्रोत्साहित करने का काम करें ताकि समाज में समता का विचार अधिक मजबूत हो सके।-राजेन्द्र मौर्य PAGDANDI KA GANDHI
मुबाहिसा : राजेन्द्र मौर्य. "पगडंडी का गांधी" लो कतंत्र की यही ताकत है, जिसमें किसान, मजदूर, व्यापारी कोई भी वह साधारण से साधारण व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मंत्री बन सकता है, जिसे जनता चाहती है। और जनता जिसे नकार दे तो वह बड़े से बड़े पद से बेदखल कर दिया जाता है। 1977 में इंदिरा गांधी को बुरी तरह हराने समेत इतिहास ऐसे तमाम उदाहरणों से भरा पड़ा है। इन दिनों भाजपा के दो कामदारों ने भारत को कांग्रेसमुक्त का नारा दिया हुआ है। यह नारा दरअसल नेहरू-गांधी परिवार से मुक्ति का है, जिसे पहले भी कई बार दिया चुका है पर जिसे जनता चाहती है तो फिर उसका कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद इंदिरा गांधी अपनी राजनीतिक स्वीकार्यता से आगे बढ़ीं और उनके साथ ही संजय गांधी ने भी अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित किया, जहां वह 1977 में इंदिरा गांधी की हार के बड़े कारण बने वहीं 1980 में कांग्रेस की वापसी का भी काफी श्रेय उन्हीं को जाता है। मुझे वर्ष 1980 में अपनी बा...
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