चिराग पासवान को बधाई
इन दिनों विभिन्न टीवी चैनलों पर पहले घोषित दलित फिल्मी कलाकार चिराग पासवान की फिल्म मिले ना मिले हम का प्रोमो चल रहा है, यह सभी के लिए सम्मान की बात है और उन लोगों के लिए सबसे अधिक गर्व की बात है, जो समाज में समता की बात सोचते हैं। यूं तो मेरी जानकारी में बॉलीवूड में पहले से कई कलाकार दलित हैं, लेकिन वे अपनी पहचान छुपाते हैं। चिराग पासवान पहले ऐसे दलित कलाकार होंगे, जो काफी धूम धड़ाके से अभिनय शुरू कर रहे हैं। मेरी चिराग को हार्दिक बधाई। मेरी लोगों से अपील है कि सभी इस कलाकार को प्रोत्साहित करने का काम करें ताकि समाज में समता का विचार अधिक मजबूत हो सके।-राजेन्द्र मौर्य mirror of society : समाज का आईना है "फीका लड्डू"
समाज का आईना है "फीका लड्डू" वरिष्ठ साहित्यकारों ने की डॉ पुष्पलता की पुस्तक फीका लड्डू की समीक्षा" समीक्षक एवं संपादक साहित्यकार डॉ अलका वशिष्ठ ने कहा , तीन बार पढ़ चुकी हूँ कहानी, बहुत सारे भाव विचार और प्रश्न उमड़ रहे हैं। यह दाम्पत्य जीवन की कड़वी सच्चाई है। आकर्षण दैहिक हो या मानसिक यदि एकतरफा हो तो बिखराव बना रहता है। ना जाने कितने दम्पति इस त्रासद अवस्था को झेल रहे हैं। समाज का आईना है ये कहानी। कहावत भी है शादी ऐसा लड्डू है,जो खाए वो पछताए,ना खाए वो भी । इस कहानी ने दिमाग में हलचल मचा दी है। हिंदुस्तान के सम्पादक सूर्यकांत द्विवेदी ने कहा बहुत ही सुंदर कहानी है। अद्यतन पढ़ता चला गया। बाकमाल। बड़ा पेड़ पौधे को नहीं पनपने देता। जीवन के अंतर्द्वंद्व को बहुत सुंदरता से आपने लिखा है। यशपाल सिंह संपादक "जनवाणी"ने कहा यथार्थ उतारा है कागजों पर । वरिष्ठ साहित्यकार एवं समीक्षक डॉ राम गोपाल भारतीय ने कहा ,कथाकार डॉ पुष्पलता की कहानी फीका लड्डू गृहस्थ जीवन में पल- पल बदलते काल्पनिक और यथार्थपूर्ण मनोभावों का सजीव दस्तावेज है लेखिका को बधाई। गिरीश पंकज
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