क्या हो गया मायावती को ?
अच्छा होता कि वह एक अच्छे शासक और जननायक की भांति इस महिला को मंच पर बुलाकर न केवल उसका प्रार्थना पत्र लेकर उसको न्याय दिलाने का काम करती बल्कि ज्यादती करने वाले पुलिसकर्मियों को भी दंडित कराने का ऐलान करती तो शायद उनका और अधिक मान ही बढ़ता।
लोनी निवासी उक्त महिला का कहना था कि उसकी 14 वर्षीय पुत्री का गत 11 अक्तूबर 2011 को वहां के ही कुछ लोगों ने अपहरण कर रखा है। उसने लोनी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने अभी तक न पुत्री को बरामद किया है और न ही आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोप है कि पुलिस आरोपियों से मिली हुई है। आरोपी लगातार उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। उसने आशंका जताई कि आरोपियों ने उसकी पुत्री की हत्या कर दी है। इस महिला ने यह बताकर भी सभी को चौका दिया कि वह मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र देने के लिए पांच बार लखनऊ जा चुकी है, लेकिन पुलिसकर्मियों ने एक बार भी मुख्यमंत्री से उसे नहीं मिलने दिया।
वैसे तो इस तरह के तमाम उदाहरण सुनने को मिलते हैं, लेकिन एक उदाहरण बसपा की ही एक महिला कार्यकर्ता का मेरी जानकारी में है। उत्तर प्रदेश के ही मेरठ की रहने वाली किरण जाटव मुझे कुछ वर्षों पहले मिली थीं। वह पढ़ते समय से ही बसपा की कर्मठ कार्यकर्ता रही थीं। मायावती की सरकार बनने पर किरण मेरठ साइकिल यात्रा करके दो बार लखनऊ गईं, लेकिन उसको मुख्यमंत्री आवास में नहीं घुसने नहीं दिया चूंकि मायावती अपने कार्यकाल में जनता दरबार भी बंद कर चुकी थीं। इसपर जब किरण ने जिद की तो उसके साथ बुरी तरह मारपीट की गई और उसको जेल भेज दिया गया। इस युवती की दो माह बाद समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जमानत कराई और किरण जाटव को अपनी मुंहबोली बहन घोषित किया। अब किरण जाटव दिल्ली से ही सटे जिला पंचशीलनगर की हापुड़ सीट से सपा प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव लड़ रही है। काश माया इस अपनी कट्टर समर्थक से मिल लेती तो वह बसपा की ही सेवा करती रहती।
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