क्या हो गया मायावती को ?
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती इन दिनों चुनावी दौरे में विभिन्न जनपदों में चुनावी सभा कर रही हैं। पता नहीं दलित की इस बेटी को क्या हो गया है ?, जब से वह पूर्ण बहुमत की सरकार की मुख्यमंत्री बनी हैं, उनको आम जनता से मिलने में दिक्कत होने लगी है। पूरे पांच वर्ष के कार्यकाल में वह जहां भी गईं, वहां कर्फ्यू के से हालात बना दिए गए। रास्तों को बैरिकेडिंग करके सील कर दिया जाता रहा है, लेकिन अब जब चुनावी जनसभाएं हो रही हैं, तब भी वह जनसाधारण की पीड़ा को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। कल वह दिल्ली के ही निकट जिला बागपत में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंची थी। इस जनसभा की एक तस्वीर और खबर अखबारों और कुछ खबरिया चैनलों में देखकर मुझे काफी दुख हुआ कि जब मायावती के राज में खुद महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है, तो फिर उनसे सभी के लिए न्याय और सम्मान की कैसे  उम्मीद की जा सकती है। इस सभा में   जब मुख्यमंत्री मायावती संबोधित कर रहीं थीं, तभी एक महिला मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने के लिए आगे जाने लगी। पुलिस ने उसे रोकना चाहा तो उसने पुलिसकर्मियों से कहा कि चाहे उसे गोली मार दो, लेकिन वह मुख्यमंत्री से जरूर मिलेगी। इसपर पुलिसकर्मी उसे न केवल खींचते हुए सभा से बाहर ले गए बल्कि उसके बाल पकड़कर बुरी तरह पीटा गया और सबकुछ देखते हुए दलित की बेटी इस महिला मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं कहा। शायद वह अपने राजनीतिक जीवन के शुरूआती दौर में पुलिस ज्यादतियों को भूल गई हैं और उनको शासक होने पर यह जुल्म अच्छा लगने लगा है।
अच्छा होता कि वह एक अच्छे शासक और जननायक की भांति इस महिला को मंच पर बुलाकर न केवल उसका प्रार्थना पत्र लेकर उसको न्याय दिलाने का काम करती बल्कि ज्यादती करने वाले पुलिसकर्मियों को भी दंडित कराने का ऐलान करती तो शायद उनका और अधिक मान ही बढ़ता।
लोनी निवासी उक्त महिला का कहना था कि उसकी 14 वर्षीय पुत्री का गत 11 अक्तूबर 2011 को वहां के ही कुछ लोगों ने अपहरण कर रखा है। उसने लोनी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने अभी तक न पुत्री को बरामद किया है और न ही आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोप है कि पुलिस आरोपियों से मिली हुई है। आरोपी लगातार उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। उसने आशंका जताई कि आरोपियों ने उसकी पुत्री की हत्या कर दी है। इस महिला ने यह बताकर भी सभी को चौका दिया कि वह मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र देने के लिए पांच बार लखनऊ जा चुकी है, लेकिन पुलिसकर्मियों ने एक बार भी मुख्यमंत्री से उसे नहीं मिलने दिया।
वैसे तो इस तरह के तमाम उदाहरण सुनने को मिलते हैं, लेकिन एक उदाहरण बसपा की ही एक महिला कार्यकर्ता का मेरी जानकारी में है। उत्तर प्रदेश के ही मेरठ की रहने वाली किरण जाटव मुझे कुछ वर्षों पहले मिली थीं। वह पढ़ते समय से ही बसपा की कर्मठ कार्यकर्ता रही थीं। मायावती की सरकार बनने पर किरण मेरठ साइकिल यात्रा करके दो बार लखनऊ गईं, लेकिन उसको मुख्यमंत्री आवास में नहीं घुसने नहीं दिया चूं‌कि मायावती अपने कार्यकाल में जनता दरबार भी बंद कर चुकी थीं। इसपर जब किरण ने जिद की तो उसके साथ बुरी तरह मारपीट की गई और उसको ‌जेल भेज दिया गया। इस युवती की दो माह बाद समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जमानत कराई और  किरण जाटव को अपनी मुंहबोली बहन घोषित किया। अब किरण जाटव दिल्ली से ही सटे जिला पंचशीलनगर की हापुड़ सीट से सपा प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव लड़ रही है। काश माया इस अपनी कट्टर समर्थक से मिल लेती तो वह बसपा की ही सेवा करती रहती।      

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