अब ओमपुरी की नजर में अन्ना भी अनपढ़ गंवार
दिल्ली में अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान पूरी संसद को अनपढ़ गंवार बताकर फंसे फिल्म अभिनेता ओमपुरी ने अन्ना हजारे को भी अनपढ़ गंवार बताते हुए चार-छह लोगों के हाथों की कठपुतली बताया है। पंजाब में एक निजी कार्यक्रम में उन्होंने यह बयान देकर नया बखेड़ा खड़ा किया है। ओमपुरी के अनुसार अन्ना की अपनी कोई समझ नहीं है। वह तो वही करते हैं जो अरविंद केजरीवाल सरीखे लोग उनसे करवाते हैं। देर से ही सही अन्ना की आरती उतारने वाले लोगों को भी अब असलियत समझ में आने लगी है। वे जानने लगे हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की आड़ में टीम अन्ना का असल खेल कुछ और ही चल रहा है। PAGDANDI KA GANDHI
मुबाहिसा : राजेन्द्र मौर्य. "पगडंडी का गांधी" लो कतंत्र की यही ताकत है, जिसमें किसान, मजदूर, व्यापारी कोई भी वह साधारण से साधारण व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मंत्री बन सकता है, जिसे जनता चाहती है। और जनता जिसे नकार दे तो वह बड़े से बड़े पद से बेदखल कर दिया जाता है। 1977 में इंदिरा गांधी को बुरी तरह हराने समेत इतिहास ऐसे तमाम उदाहरणों से भरा पड़ा है। इन दिनों भाजपा के दो कामदारों ने भारत को कांग्रेसमुक्त का नारा दिया हुआ है। यह नारा दरअसल नेहरू-गांधी परिवार से मुक्ति का है, जिसे पहले भी कई बार दिया चुका है पर जिसे जनता चाहती है तो फिर उसका कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद इंदिरा गांधी अपनी राजनीतिक स्वीकार्यता से आगे बढ़ीं और उनके साथ ही संजय गांधी ने भी अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित किया, जहां वह 1977 में इंदिरा गांधी की हार के बड़े कारण बने वहीं 1980 में कांग्रेस की वापसी का भी काफी श्रेय उन्हीं को जाता है। मुझे वर्ष 1980 में अपनी बा...
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