ममता बनर्जी कब तक ब्लैकमेल करेंगी ?
केंद्र में जब से यूपीए की सरकार में ममता बनर्जी शामिल हैं, तब से ही वह किसी न किसी मुद्दे पर केंद्र सरकार को ब्लैकमेल कर रही हैं और अब की बार तो उन्होंने हद ही कर दी है, जब रेल बजट पेश होते ही उन्होंने अपनी पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर रेल मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री पद से हटने का फरमान सुना दिया। शुरू में दिनेश त्रिवेदी भी काफी अकड़ फूं में थे। उन्होंने संसद भवन में ममता बनर्जी को आवंटित कक्ष के बजाय दूसरा कक्ष आवंटित करने पर हंगामा कर दिया था और अब जब वह रेल मंत्री के रूप में बजट पेश कर रहे थे, तो शायद भूल ही गए कि वह खुद कुछ नहीं है बल्कि एक तानाशाह प्रवृत्ति अपना रहीं ममता बनर्जी के प्रतिनिधि मात्र हैं। वैसे तो उनका कहना सही था कि देश हित के सामने पार्टी या व्यक्ति हित को नहीं देखा जाना ‌चाहिए, लेकिन वह यह बात समझ नहीं पाए कि सुदीप बंधोपध्याय किस तरह उनको ममता बनर्जी के दरबार में नीचे गिराने का काम कर रहे हैं। 
 
 ‌‌त्रिवेदी यह भी भूल गए कि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है। वह तब तक ही मंत्री हैं, जब तक ममता जी चाहती हैं। ऐसे में भले ही वह रेलवे के हित में कैसा भी बजट पेश कर लें और  प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और अन्य बजट को लेकर उनकी पीठ ठोंकने का काम करें, लेकिन वे उनको बचाने के लिए कतई आगे नहीं आ पाएंगे और यही हुआ भी जब ममता उनको हटाने पर अड़ी तो अंततः त्रिवेदी को ‌इस्तीफा देना ही पड़ा।
 
  अब प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी को  तय करना है कि आखिर वे कब तब तक ममता को ब्लैकमे‌लिंग की छूट देना चाहते हैं। उनके पास जब बहुमत का आंकड़ा है तो फिर क्यों ममता को सरकार से बाहर का रास्ता दिखाकर उनकी ब्लैकमेल करने की प्रवृत्ति पर रोक नहीं लगाई जा रही है।

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