कुछ वो  झुकें,कुछ हम आगे बढ़ें!        प्रमुख  दलित चिंतक श्री चंद्रभान प्रसाद जी का मैंने एक समाचार पत्र में लेख पढ़ा, जिसमें  उन्होंने दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले में ट्रॉनिका सिटी औद्योगिक  क्षेत्र में स्कूली बैग बनाने वाली एक फैक्ट्री का उदाहरण देते हुए बताया  कि वहां सोलह कर्मचारियों में से बारह महिलाएं थीं, जिनमें से ज्यादातर सिलाई  मशीन चलाती थीं। महिलाओं की जातिगत पृष्ठभूमि के बारे में पूछने पर पता चला कि उन  बारह महिलाओं में से तीन ब्राह्मण थीं। उनमें से एक हरियाणा के महेंद्रगढ़, दूसरी  बिहार के गोपालगंज और तीसरी दिल्ली के आजादपुर से थीं। नौ गैर-ब्राह्मण महिला  कर्मचारियों में से दो उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की राजपूत थीं और एक बिहार के  जमुई की बनिया जाति की थीं। यानी पचास फीसदी महिला कर्मचारी उच्च जाति से थीं। बाकी  छह में से चार उत्तर प्रदेश और बिहार की पिछड़ी जाति से थीं और बाकी दो में से एक  मुस्लिम और दूसरी दिल्ली की ईसाई थीं। श्री चंद्रभान प्रसाद जी ने एक और  उदाहरण देकर बताया कि डेढ़ वर्ष पहले एक लोकप्रिय टीवी पत्रकार ने  दिल्ली के सुरक्षा...
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Showing posts from March, 2014
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                                            पासवान ने एनडीए में शामिल होकर कोई गलती नहीं की    वर्ष 2002 के गुजरात दंगे को लेकर 12 साल पूर्व राजग से अलग होने वाले  लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने कहा कि एनडीए में शामिल होकर उन्होंने  कोई गलती नहीं की क्योंकि कांग्रेस और आरजेडी के साथ गठबंधन को लेकर  अनिश्चितता के बीच उन्हें जिस तरह से अपमानित और किनारे कर दिया. इसके बाद  अपनी पार्टी के हित को ध्यान में रखकर उन्हें यह फैसला करना पड़ा.पटना  में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पासवान ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत  आदर्श भावना में बहकर धर्मनिरपेक्षता और पुराने गठबंधन (आरजेडी और लोजपा  का) के नाम पर कांग्रेस और आरजेडी के साथ समझौते के लिए समय को बर्बाद किया  जबकि लोजपा संसदीय बोर्ड का कहना था कि उन्हें बिना समय गंवाये यूपीए या  एनडीए में जाने को लेकर निर्णय ले लेना चाहिए.  उन्होंने कहा  कि उन्हें यह अंदाजा हो गया था कि इसी तरह गठबंधन के मामले को खींचकर  चुनाव की घोषणा तक ये दोनों दल ले जाएंगे और अंत में लोजपा को दो-तीन सीट  देने की पेशकश कर उससे कहते कि उन सीटों पर चुनाव लड़ना है तो ...
