मुबाहिसा : राजेन्द्र मौर्य हनुमानजी की जाति बताना और उसपर सवाल उठाना कतई गलत है। आखिर कब राजनीति में जाति और धर्म का घालमेल बंद होगा। हम प्राणी हैं, इंसान ने अपनी सोच के मुताबिक जाति और धर्म में बांट दिया, जिसको राजनीति पोषित करने का काम कर रही है। इसके विपरीत मैं देखता हूं कि कई देशों के मूल धर्म समाप्ति की ओर हैं और उनके धर्मस्थल वीरान हो रहे हैं, लोग स्वेच्छा से दूसरे धर्म अपना रहे हैं। कई धर्म स्थलों के बिक जाने के भी उदाहरण सामने आ रहे हैं। पर इससे संबंधित देश की सरकार को कोई मतलब नहीं है। मैंने देखा एक देश में हमारे भारतीय गणपति भगवान की पालकी चर्च में लेकर गए तो वहां न केवल चर्च के पादरी ने स्वागत किया बल्कि मौजूद ईसाइयों ने भी पूजा-पाठ में शामिल होकर सभी को भोजन कराया। इससे कहीं भी दोनों धर्मों के लोगों की अपने धर्म के प्रति आस्था में कमी नहीं आती, बल्कि आपस में प्यार और सद्भाव बढ़ता है, जो एक-दूसरे के साथ रहने की ताकत बनता है। जब मैं अपने देश की सरका...
अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर की 157 वें उर्स पर दिल्ली के ग़ालिब अकादेमी में मरहूम बादशाह सलामत के वर्तमान जीवित वंशज व पीठासीन नवाब शाह मो0 शुएब खान की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सम्मेलन तथा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें देशभर से सन 1857 के क्रांतिवीरों के वंशजों तथा स्वाधीनता तथा अमन-दोस्ती के लिये काम कर रहे अनेक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया । कार्यक्रम के प्रारम्भ में नवाब शाह मो0 शुएब खान साहब का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया । श्रीमती समीना खान ने मुग़ल खानदान की समृद्ध विरासत पर एक विस्तृत लेख का वाचन किया तथा अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के जीवन,विचारो तथा दर्शन को बताया । उन्होंने कहा कि अंतिम बादशाह एक खुद्दार हिंदुस्तानी थे जिन्होंने निर्दयी अंग्रेज़ी हुकूमत द्वारा अपने पुत्रों के कटे सिरों को पेश करने के बावजूद भी बिना विचलित हुए विदेशी दासता को स्वीकार नही किया । अंत मे विदेशी निर्लज्ज शासको ने हिंदुस्तान के इस मालिक को इनके ही मुल्क से जिला वतन कर रंगून भेज कर अपमानित जीवन व्यतीत करने को विवश कर दिया पर उन्होंने अपने देश के गौरव...
भावी योजना की बुनियाद रखी सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने रक्षा सौदे में 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश का एक वर्ष बाद अपनी सेवानिवृत्ति से कुछ अर्से पहले जनरल वीके सिंह द्वारा खुलासा किया जाना सस्ती लोकप्रियता के लिए उठाया गया कदम ही माना जाएगा। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने जिस तरह सीना ठोककर संसद में कहा है कि उनको एक पार्टी के दौरान सेनाध्यक्ष सिंह ने एक साल पहले यह जानकारी दी थी और उन्होंने इस पर कार्रवाई को उनसे कह दिया था। ऐसे में साफ है कि जिस तरह से अनौपचारिकता में सेनाध्यक्ष ने एंटनी से कहा, ठीक उसी तरह उनके द्वारा अनौपचारिक तौर पर कार्रवाई के लिए कह दिया। जितना मैं या अन्य राजनीतिक लोग एंटनी को जानते हैं, वह औपचारिक तौर पर सेनाध्यक्ष द्वारा कार्रवाई की अनुमति मांगने पर कतई पीछे नहीं हटते। आर्मी चीफ अपनी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले जिस तरह से मीडिया से रुबरु होकर जो खुलासे कर रहे हैं, वह निश्चित ही सेवानिवृत्ति के बाद उनके द्वारा अपने व्यस्थ रहने के लिए भविष्य की योजनाओं की बुनियाद रखी जा रही है। ...
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