नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास, पक्ष में पड़े 311 वोट


लोकसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी । विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े । लोकसभा में सोमवार की रात नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक को सदन में सोमवार दोपहर पेश किया था। इस विधेयक के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि देश के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए लाया गया विधेयक है। जबकि, अमित शाह ने कहा कि यह बिल .001 फीसदी भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। नागरिक संशोधन बिल पर सभी विरोधी दलों ने विरोध जताया। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव ने कहा- हम नागरिक संशोधन बिल के खिलाफ हैं और पार्टी हर कीमत पर इसका विरोध करेगी।
उधर, इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं और काफी संख्या में लोग तथा संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे, जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है। प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में दस दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है।

क्या है नागरिकता संशोधन बिल
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी। यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था। भाजपा नीत राजग सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गई।

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