हरियाणा : पूर्व केंद्रीय मंत्री आई डी स्वामी का निधन


पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री आईडी स्वामी जी (90) की पत्नी का देहांत अभी चंद दिनों पहले करनाल में उनके निवास स्थान पर हो गया था, जिसकी सूचना मुझे भी सोशल मीडिया के माध्यम से मिली थी । आज मैं उनके घर अफसोस के लिए उनके घर में ज्यो ही दाखिल हुआ तो मैंने स्वामी जी से मिलने के लिए जानकारी चाही तो एक सज्जन बोले कि उनका तो देहांत हो गया है। मैंने भौचक्के  होकर कहा कि उनकी नहीं, उनकी पत्नी का निधन हुआ है। पर उन्होंने रुआँसे होकर बताया कि आज दोपहर बाद 3 बजे उनका भी देहांत हो गया । मैं भी गमगीन होकर घर के उस कमरे में दाखिल हुआ जिसमें उनके परिवार सहित अन्य सदस्य बैठे थे। मुझे बहुत अफसोस रहा कि जिनसे मैं मिलने आया था वह यात्री तो सदा सदा के लिए चला गया था। इस बार भी स्वामी जी ने वही किया जैसा वे पहले भी करते थे। उनके गृह राज्यमंत्री रहते जब भी किसी भी काम के सिलसिले मैं मिलने के लिए उन्हें फोन करते तो कुशल क्षेम पूछकर कहते कि क्या किसी भी काम के लिए तुम्हें भी मिलने की जरूरत है, फोन पर ही बता दो। मेरे काम सदा सामाजिक ही रहते। उन्हें मैं संकोच से काम बताता और कुछ रोज बाद उनका ही फोन आता कि काम हो गया है। वैसे जब भी किसी कार्यक्रम अथवा समारोह में मिलते तो स्नेह से मिलते व घर परिवार का हालचाल पूछते।
 स्वामी जी ज़िला अम्बाला के ब्यावल के मूल निवासी थे। प्रशासनिक अधिकारी के नाते करनाल में ही सेवारत रहे और यहीं उपयुक्त पद पर रहते हुए पदमुक्त हुए। वे एक विचारशील बुद्धिजीवी थे। गांधी-नेहरू व कांग्रेस की विचारधारा को मानने वाले। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के विचार विभाग का गठन हुआ तो वे इसके अध्यक्ष बने और मैं संयोजक। उनके नेतृत्व में हमने अनेक सांगठनिक कार्य किए।
     उनके बड़े पुत्र दिवंगत श्री सुर्य स्वामी जी आर एस एस के शीर्ष प्रचारक थे। हम एक दूसरे की विचारधारा को जानते थे फिर भी  वैचारिक संवाद करते कि शायद हम किसी को अपने अनुरूप बना लें, जो सदा नामुकिन रहा। वैचारिक मतभेद के बावजूद वे एक अच्छे सच्चे इंसान थे। दुर्भाग्यवश उनका निधन युवावस्था में ही हो गया। ऐसा मानना रहा कि करनाल लोकसभा क्षेत्र से वे ही भारतीय जनता पार्टी के संभावित प्रत्याशी होते । परन्तु समय को कुछ और ही बदा था। पुत्र के निधन के बाद पार्टी ने पिता आई डी स्वामी जी को अपना उमीदवार बनाया और वे दो बार सांसद चुने गए और श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में मंत्री बने ।
 स्वामी जी हर किसी के सुख-दुख में शामिल होते । मेरी सुपुत्री के विवाह समारोह में वे अपनी अस्वस्थता के बावजूद शामिल हुए और लगभग एक पारिवारिक बुज़ुर्ग की तरह लगभग एक घण्टा तक रुके रहे । इसी अवसर पर उन्हें मैंने मशवरा दिया कि वे अपने जीवन के अनुभवों को  वृतांत रूप में लिखें ।
यही मेरी उनसे आखरी मुलाकात थी और आज अपनी सभी स्मृतियों को संजो कर उनसे मिलने गया था पर यह क्या वे आज भी नहीं मिले।
    राजनीति के इस अजात शत्रु को विनम्र श्रद्धांजलि ।
साभार : राम मोहन राय, करनाल (हरियाणा)

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